कबीर के दोहे जीवन की क्षणभंगुरता पर| Kabir Ke Dohe on Ephemeral Life
अर्घ कपाले झूलता, सो दिन करले यादजठरा सेती राखिया, नाहि पुरुष कर बाद। Argh kapale jhulta,so din kar le yadJathra seti rakhiya,nahi purush kar bad. भावार्थ: तुम उस दिन को याद करो जब तुम सिर नीचे …
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