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धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का अर्थ|Dhobi Ka Kutta

धोबी का कुत्ता न घर का घाट का अर्थ : इसका सीधा सा अर्थ है कि ‘कहीं का न रहना’ ,कोई ठिकाना न होना। हर तरफ से दुत्कारा जाना। विवेचन : धोबी कपडे धोने के लिए …

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कोस-कोस पे बदले पानी, चार कोस पे बानी

यह कहावत सबसे पहले मैंने मेरे दादाजी से सुना था । बाद में गाँव की बारातों में कई अलग अलग गांवों में जाना हुआ। प्रायः ये सारी बारातें तहसील और जिले के अंदर ही होती थीं। …

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जेहि पर कृपा न करहिं पुरारी|Jehi Par Kripa Na Karahi Purari

जेहि पर कृपा न करहिं पुरारी। सो न पाव मुनि भगति हमारी॥अस उर धरि महि बिचरहु जाई। अब न तुम्हहि माया निअराई॥ अर्थ: भगवान विष्णु नारद जी से कहते हैं कि हे मुनि जिस पर पुरारी …

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ना चिन्ह त नया कीन मुहावरा|Na Chinh Ta Naya Kin

पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में ये बड़ी पुरानी कहावत है। और ध्यान देने वाली बात ये है की ये आज भी बड़ी सटीक बैठती है। ना चिन्ह त नया कीन का अर्थ – Na Chinh …

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ज्ञानी से ज्ञानी मिले दोहा|Gyani Ko Gyani Mile

अर्थ: जब दो ज्ञानी (जानकर) लोग मिलते हैं तो ज्ञानवर्धक बाते करते हैं। जिससे ज्ञान बढ़ता है और लोगों को आनंद मिलता है।
जबकि यदि ज्ञानी को कोई अज्ञानी व्यक्ति मिल जाए तो केवल तर्क वितर्क में केवल विवाद ही होता है। जो किसी के लिए लाभप्रद नहीं होता।

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धर्मो रक्षति रक्षितः