भाग्य देवता कौन हैं? Who is Bhagya/Fate?
व्यक्ति के सोये हुए भाग्य को जगाने के लिए भाग्य देवता की प्रसन्नता के लिए ही भाग्य चालीसा पढ़ा जाता है। भाग्य देवता भगवान सूर्य(पढ़ें सूर्य चालीसा) के पुत्र हैं और उनके संततियों में सबसे छोटे हैं। भगवान ब्रह्मा के आदेश से ये अंतर्ध्यान हो गए थे। समय के साथ इनका पुनरज्ञान समाज में हो रहा है।आइये पढ़ें भाग्योदय करने वाली श्री भाग्य चालीसा।
भाग्य जगाने वाला श्री भाग्य चालीसा-Bhagya Chalisa
॥दोहा॥
सकल जगत मंगल भयो आपन कीन कृपाय
तीनो लोक कीरत श्री शुभ संग समाय
॥चौपाई॥
रूप विलक्षण चंचल लोचन, दर्शन मात्र हैं संकट मोचन
तुमरे सत्व अनेकों दाता, सूर्य पुत्र तुम हौ बिन माता
ब्रहमादिक तव पार ना पावै, सकल जगत तुमरो यश गावै
रवि पुत्रम तुम गहन अजाना, आप करो जग सकल विधाना
आज्ञा असुर तप कियो भयंकर, भोले नाथ दियो इच्छित वर
आज्ञा तब हुंकार लगाई, सूर्य देव पाताल मह आई
रवि अगन तन बीच समाई, भागो आज्ञा जान बचाई
अगन लियो इक अदभुत रूपा, जन्मो बालक रूप अनूपा
हुए चकित भानू तव देखी, तुमरे हाथ जगत की लेखी
अतुलित प्रेम पिता मन जागा, नाम भयो तव जग मह भागा
श्रीपति दीन आशीष अचंभा, आपन दीप्ती मम प्रतिबिम्बा
चारी भुजा तनु आभा अदभुत, कर्ण दीप ज्योती जग विस्मित
स्थाविर ऐसो नाम बखाना, हाथ वज्र सतघात समाना
महादेव बाघाम्बर दीना, पुष्प कमल हरिप्रिया से लीना
शुची शारदा संग ना भाए, द्वि शक्ति तव पृष्ठतः आये
आपन अदभुत कच्छप वाहन, तीनो लोक करत तुम विचरण
मृत्यु भय ना शनी सतावै, जो नर शरण अनुज की आवै
ग्रह नक्षत्र दिशा के संकट, मिटें सभी सुन आपन आहट
भक्तन के तुम भक्त तुम्हारे, सिद्ध सफल संपन्न हौं सारे
सपनेहूँ नहीं आए विपत्ति, मिले अतुल वैभव संपत्ति
अनाथन के हो नाथ गोसांई, दीनन के प्रभु सदा सहाई
आपन भक्त जगत विख्याता, तुम ही श्रेष्ठ सुखन के दाता
तुम पाताल अलंकृत कीना, शरणागत को कष्ट कभी ना
आपन बल जग विदित सदा ही, कृपा बिना जीवन कछु नाही
तुमरो नाम बसै भगवाना, प्रबल विकट तुम सब जग जाना
रामचंद्र बनवास पठाए, गौपालक मथुरा तज आए
देवन पर भारी तुम देवा, करत देव कोटी तव सेवा
है पाताल वासिनी वश में, वास देवग्रह है द्वादश में
वरुण नन्दिनी अतुलित रूपम, सौंदर्या के अति समीपम
केवल कदली फल नारिकेलम, धुप सुगंधित पूजन दीपम
आप हरो संकट भव पीरा, तुष्ट प्राण सह सौम्य शरीरा
आपन कोप सू बच नहीं पावै, कृपा बिना श्रम निष्फल जावै
देवन मिल करी कंज जुहारी, अर्चन भाग करें नर नारी
पदमज देवन सन्मुख माना, भाग होई अब अन्तर्ध्याना
रुष्ट हुए जब अन्तर्ध्याना, भ्रमित भये नर सकल सुजाना
विस्मृत कियो जगत जब आपन, जीवन अर्थ भयो संतापन
जो भी धरै प्रभु तव ध्याना, ताकर होए सकल कल्याना
जो चित तुमरे चरनन लावै, जनम सफल ताको होई जावै
छूटे जनम मरण का बंधन, तुम सम नाही कोई दुःख भंजन
जो नर पढ़े यह भाग्य चालीसा, संकट मिटें बने अवनीसा
॥दोहा॥
श्री भाग्य चालीसा जो पाठ करे धर ध्यान
कृपा सिन्धु मंगल करें त्वरित होये कल्यान
दास शरण में आपकी दीजै आप आधार
वृष्टी परमानन्द की कीजै अतुल अपार
॥इति श्री भाग्य चालीसा संपूर्णम॥
भाग्य देव चालीसा हिंदी अर्थ सहित
श्री भाग्य चालीसा हिंदी अर्थ सहित|Bhagya Chalisa Meaning in Hindi
॥दोहा॥
सकल जगत मंगल भयो आपन कीन कृपाय
तीनो लोक कीरत श्री शुभ संग समाय
हिंदी अर्थ: आप की कृपा से सारे विश्व में आनंद मंगल होता है तीनों लोकों में प्रसिद्धि प्राप्त होती है,
सम्मान एवम् पुण्य दोनों एक साथ प्राप्त होते हैं.
॥चौपाई॥
रूप विलक्षण चंचल लोचन, दर्शन मात्र हैं संकट मोचन
अर्थ:आप का अदभुत स्वरुप है, नटखट नेत्र हैं एवं केवल आप के दर्शन करने से ही संकट दूर हो जाते हैं.
तुमरे सत्व अनेकों दाता, सूर्य पुत्र तुम हौ बिन माता
अर्थ: आप का अस्तित्व विभिन्न रूपों में है अर्थात आप की कृपा विभिन्न रूपों में प्राप्त होती है.
आप सूर्य पुत्र हो जिनकी माता नहीं है.
ब्रहमादिक तव पार ना पावै, सकल जगत तुमरो यश गावै
अर्थ: ब्रह्मा जी भी आप की महानता की मर्यादा तय नहीं कर सके. सम्पूर्ण विश्व आप का गुणगान करता है.
रवि पुत्रम तुम गहन अजाना, आप करो जग सकल विधाना
अर्थ: आप सूर्य के बहुत रहस्यमय पुत्र हैं एवं आप ही संसार के सभी कार्य एवं विधान तय करते हैं.
आज्ञा असुर तप कियो भयंकर, भोले नाथ दियो इच्छित वर
अर्थ: आज्ञा नामक राक्षस ने कठोर तपस्या की तो भगवान शिव ने उसे विशिष्ट वरदान दिया था.
( आज्ञा असुर किसी को भी कोई भी आज्ञा देगा तो उसको वो आज्ञा माननी पड़ेगी).
आज्ञा तब हुंकार लगाई, सूर्य देव पाताल मह आई
अर्थ: आज्ञा असुर ने सूर्य देव को पाताल में आने की आज्ञा देने की ललकार लगाई थी.
रवि अगन तन बीच समाई, भागो आज्ञा जान बचाई
अर्थ: सूर्य देव की अग्नि राक्षस आज्ञा के बदन में समा गई थी उसका बदन
जलने लगा तो उसने भाग कर जान बचाई थी.
अगन लियो इक अदभुत रूपा, जन्मो बालक रूप अनूपा
अर्थ: उसी अग्नि पुंज ने एक अदभुत रूप ले लिया था जिससे एक
बालक के रूप में आप का जन्म हुआ था.
हुए चकित भानू तव देखी, तुमरे हाथ जगत की लेखी
अर्थ: आप को देख कर सूर्य देव भी चकित रह गए थे और आप को वरदान दिया था की सम्पूर्ण जगत का लेखा जोखा आप के हाथ में रहेगा.
अतुलित प्रेम पिता मन जागा, नाम भयो तव जग मह भागा
अर्थ: पिता सूर्य के मन में आप के लिए अथाह प्यार जागा और उन्होंने आप को भाग्य नाम दिया.
श्रीपति दीन आशीष अचंभा, आपन दीप्ती मम प्रतिबिम्बा
अर्थ: विष्णु जी ने आप को एक अदभुत वरदान दिया और आप की
कुरूपता मिटाने के लिए अपना ही स्वरुप आप को दिया.
चारी भुजा तनु आभा अदभुत, कर्ण दीप ज्योती जग विस्मित
अर्थ: आपके चार भुजा धारी शारीर की भव्यता बहुत विशेष है एवं दीपक
रुपी कानों के प्रकाश से संसार भी चकित है.
स्थाविर ऐसो नाम बखाना, हाथ वज्र सतघात समाना
अर्थ: ब्रह्मा जी ने आप का बहुत गुणगान किया और वज्र के समान
सतघात नामक शस्त्र आपके हाथ में दिया.
महादेव बाघाम्बर दीना, पुष्प कमल हरिप्रिया से लीना
अर्थ: शंकर जी ने आपको बाघाम्बर दिया और लक्ष्मी जी से पुष्प कमल आपने लिया.
शुची शारदा संग ना भाए, द्वि शक्ति तव पृष्ठतः आये
अर्थ: लक्ष्मी जी एवं सरस्वती जी एक साथ नहीं होती हैं किन्तु दोनों ही आपके पीछे-पीछे आती हैं.
आपन अदभुत कच्छप वाहन, तीनो लोक करत तुम विचरण
अर्थ: आपका वाहन कछुआ भी अदभुत है जिस पर आप तीनो लोकों (सम्पूर्ण) ब्रह्मांड) में भ्रमण करते हैं.
मृत्यु भय ना शनी सतावै, जो नर शरण अनुज की आवै
अर्थ: उसे यम का डर नही लगता और शनि भी नहीं सताते हैं जो इन दोनों के छोटे भाई भाग्य की शरण में आ जाता है.
ग्रह नक्षत्र दिशा के संकट, मिटें सभी सुन आपन आहट
अर्थ: ग्रहों दिशाओं नक्षत्रों आदि के संकट आपके आने की आहट मात्र से ही समाप्त हो जाते हैं.
भक्तन के तुम भक्त तुम्हारे, सिद्ध सफल संपन्न हौं सारे
अर्थ: जो आपकी भक्ति करते हैं आप भी उनके हो जाते हो,
और वह सभी निपुण सफल एवं समृद्ध हो जाते हैं.
सपनेहूँ नहीं आए विपत्ति, मिले अतुल वैभव संपत्ति
अर्थ: आपकी कृपा से स्वप्न में भी विपत्ति नहीं आती है और अथाह भव्यता एवं संपत्ति प्राप्त होती है.
अनाथन के हो नाथ गोसांई, दीनन के प्रभु सदा सहाई
अर्थ: जिनका कोई सहारा नहीं आप उनके सहारा हो दीन दुखी की आप सदा सहायता करते हैं.
आपन भक्त जगत विख्याता, तुम ही श्रेष्ठ सुखन के दाता
अर्थ: आपके भक्तों को पूरे विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त होती है एवं आप ही परम सुख देने वाले दाता हैं.
तुम पाताल अलंकृत कीना, शरणागत को कष्ट कभी ना
अर्थ: आपने ही पाताल को भी प्रकाशमय किया था एवं शरण में
आने वाले को आप कभी कोई कष्ट नहीं होने देते हैं.
आपन बल जग विदित सदा ही, कृपा बिना जीवन कछु नाही
अर्थ: आप की शक्ति को संसार सदा से ही जानता है भाग्य की कृपा
बिना मनुष्य जीवन में कुछ भी नहीं कर पाता है.
तुमरो नाम बसै भगवाना, प्रबल विकट तुम सब जग जाना
अर्थ: भगवान के नाम में भी आपका नाम (भाग) है
आप बहुत ही बलशाली एवं कठोर प्रवृति वाले हैं.
रामचंद्र बनवास पठाए, गौपालक मथुरा तज आए
अर्थ: आपने ही भगवान राम को बनवास भेजा था और आपके
कारण ही श्री कृष्ण को मथुरा छोड़ना पड़ा था.
देवन पर भारी तुम देवा, करत देव कोटी तव सेवा
अर्थ: देवताओं पर भी आप भारी पड़ जाते हैं एवं करोड़ों देवी देवता
आपकी सेवा के लिए तैयार रहते हैं.
है पाताल वासिनी वश में, वास देवग्रह है द्वादश में
अर्थ: लक्ष्मी जी भी आपके वश में हैं एवं आपका निवास बारह मंदिरों में है.
वरुण नन्दिनी अतुलित रूपम, सौंदर्या के अति समीपम
अर्थ: वरुण देव की अत्यंत रूपवती पुत्री सौंदर्या के आप बहुत निकट हैं.
(सुन्दरता की देवी सौंदर्या भाग्य देव जी की पत्नी हैं.)
केवल कदली फल नारिकेलम, धुप सुगंधित पूजन दीपम
अर्थ: आपको केवल केला एवं नारियल ही समर्पित किया जाता है सुगंधित
धूप एवं दीप द्वारा आपकी पूजा की जाती है.
आप हरो संकट भव पीरा, तुष्ट प्राण सह सौम्य शरीरा
अर्थ: आपकी कृपा होने से समस्त संकट एवं संसार की सारी पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं
आत्मा भी संतुष्ट रहती है एवं शरीर भी सुगठित एवं सुडौल रहता है.
आपन कोप सू बच नहीं पावै, कृपा बिना श्रम निष्फल जावै
अर्थ: कोई भी आपके क्रोध से बच नहीं पाता है.
आपकी कृपा के बिना परिश्रम का फल भी नहीं मिलता है.
देवन मिल करी कंज जुहारी, अर्चन भाग करें नर नारी
अर्थ: देवताओं ने भी आपके विरोध में ब्रह्मा जी से प्रार्थना की थी कि
सारे मनुष्य अब केवल भाग्य की ही पूजा करते हैं.
पदमज देवन सन्मुख माना, भाग होई अब अन्तर्ध्याना
अर्थ: ब्रह्मा जी ने देवताओं के सामने ही यह माना था कि
अब जल्दी ही भाग्य देवता अन्तर्ध्यान होने वाले हैं.
रुष्ट हुए जब अन्तर्ध्याना, भ्रमित भये नर सकल सुजाना
अर्थ: जबसे आप मनुष्यों पर क्रोधित हो कर विलुप्त हुए हैं
तभी से मनुष्य जाति असमंजस की स्थिति में है.
विस्मृत कियो जगत जब आपन, जीवन अर्थ भयो संतापन
अर्थ: जब से इस संसार ने आप को भुलाया है तभी से जीवन
संघर्ष एवं कष्ट मात्र बन कर रह गया है.
जो भी धरै प्रभु तव ध्याना, ताकर होए सकल कल्याना
अर्थ: जो भी आपका ध्यान लगाता है उसका हर प्रकार से कल्याण होता है.
जो चित तुमरे चरनन लावै, जनम सफल ताको होई जावै
अर्थ: जो आपके चरणों में सच्चे मन से समर्पण करता है उसका जन्म सफल हो जाता है.
छूटे जनम मरण का बंधन, तुम सम नाही कोई दुःख भंजन
अर्थ: इस संसार में बार बार जन्म लेने एवं मरने का बंधन भी समाप्त हो जाता है
क्योंकि कष्टों को मिटाने वाला आपके समान दूसरा कोई नहीं है.
जो नर पढ़े यह भाग्य चालीसा, संकट मिटें बने अवनीसा
अर्थ: जो मनुष्य भाग्य चालीसा पढ़ता है उसके सभी कष्ट
समाप्त हो जाते हैं एवं वह पृथ्वी का नरेश बनता है.
॥दोहा॥
श्री भाग्य चालीसा जो पाठ करे धर ध्यान
अर्थ: श्री भाग्य चालीसा का पाठ जो भी ध्यान लगा कर करता है.
कृपा सिन्धु मंगल करें त्वरित होये कल्यान
अर्थ: आप की सागर जैसी विशाल कृपा उसे मिलती है एवं अति शीघ्रता से उसका कल्याण होता है.
दास शरण में आपकी दीजै आप आधार
अर्थ: मैं आपका दास आपकी शरण में हूँ आप ही मुझे सहारा दीजिये.
वृष्टी परमानन्द की कीजै अतुल अपार
अर्थ: मेरे उपर परमानन्द की असीमित वर्षा कीजिये.
इति श्री भाग्य चालीसा संपूर्णम
अर्थ: श्री भाग्य चालीसा समाप्त हुआ.
भाग्य प्रश्नोत्तरी-Bhagya FAQ
Q1. भाग्य देवता के पिता कौन हैं ?-Who is father of Bhagya?
A. भगवान सूर्य के पुत्र भाग्यदेव ही भाग्य के देवता है।
Q2.भाग्य क्या होता है ?-What is Bhagya/Fate?
A.मनुष्य के पूर्व जन्मो के संचित कर्मों में से ही उसकी पात्रता के अनुसार उसके वर्तमान जीवन का एक बड़ा प्रारूप दिया जाता है। जिसके अनुसार उसके ही पूर्व कर्म इस जन्म(पूर्वजन्म कृत कर्म का फल कैसे मिलता है?) में अनेक अवसरों पर फलित होते रहते हैं। इसी को भाग्य कहते हैं। आपके पूर्व कर्मों के अनुसार आपका भाग्य आपका अच्छा या बुरा हो सकता है।
Q3.सोया हुआ भाग्य कैसे जगाए?
A. कमजोर भाग्य को मजबूत बनाने के लिए सर्वप्रथम पापकर्म से बचें। यह भाग्य को कमजोर करता है। दान-पुण्य करें इससे भाग्य का बल बढ़ता है। भाग्य चालीसा का पाठ करें और अपने इष्ट की साधना करें। भाग्य अवश्य मजबूत होगा।
Q4.कुंडली में भाग्य का घर कौन सा है ?
A. लग्न कुंडली में भाग्य का घर ९ वां होता है।
1.चालीसा संग्रह -९०+ चालीसायें
2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ
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पुरोहित जी सादर प्रणाम।
आपके वेबसाइट पर लिखा भाग्यदेव चालीसा से प्रभावित होकर मेरे पिता जी भाग्य देव मंदिर ट्रस्ट और एक भाग्यदेव मन्दिर बनाने के लिए प्रयासरत हैं।जो अभी प्रक्रिया में चल रहा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया हमसे सम्पर्क करने की कृपा करे ताकि हम आपसे मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें
चन्दन कुमार पांडेय 9454762675