प्रधानमंत्री मोदी और मोर – एक दृष्टिकोण
सम्मोहन के बारें में बहुत सुना है कई बार अनुभव भी किया है कुछ चीजें प्रमुख रूप से हैं जैसे एक मुस्कान है जो मुझे हमेशा मोहित कर लेती है बहुत सी धुन ऐसी हैं और भी बहुत सी चीजें हैं और आज यह तस्वीर।
सम्मोहन का जन्म मेरे हिसाब से राम और कृष्ण से ही हुआ होगा इन्हें देख कौन नही मोहित हुआ क्या मित्र क्या शत्रु, इनके सामने आके सब मोहित हो जाते थे ।
ओशो के बारे में भी कहा जाता है कि इनके व्यक्तित्व में सम्मोहन की कला थी इनके पीछे इनकी बुराई करने वाले लोग सामने आके प्रश्नहीन हो जाते थे, इन्हें कुछ नही कह पाते थे । अगर कुछ पूछते या तर्क-वितर्क करते भी थे तो ओशो के उत्तर उन्हें सम्मोहित कर लेते थे।
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एक प्रसंग है कि ओशो जब बारहवीं की परीक्षा पास कर लिए और उन्हें स्कूल से चरित्र प्रमाण पत्र लेने जाना था। स्कूल के जो प्रिंसिपल थे उनकी लड़की को ओशो के प्रति आसक्ति थी और प्रिंसिपल इस बात से काफी नाराज थे। इसलिए वो इनके प्रमाण पत्र को खराब बनाने की सोच घर से निकले और स्कूल आये ओशो पहले से कैंपस में उपस्थित थे और उनका सामना प्रिंसिपल से हुआ। बताया जाता है कि प्रिंसिपल ओशो से पहले कभी नही मिले थे और जब मिले तो उन्हें पता नही क्या हुआ कि वो चरित्र प्रमाण पत्र बुरा न बना सके।
उन्होंने ओशो से कहा कि मैं घर से सोच के निकला था कि तुम्हारा चरित्र प्रमाण पत्र ऐसा बनाऊंगा कि तुम्हे किसी कॉलेज में एडमिशन न मिल सके, लेकिन मैं तुम्हारे सामने आके ऐसा न कर सका।
इस तस्वीर को देखिए, कई बार देखिए क्या दिखेगा आपको। एक सन्यासी पक्षी को दाना खिला रहा है।
हाँ सन्यासी लेकिन यह संन्यासी सभी सन्यासियों के तरह सांसारिकता से परेशान हो उससे दूर नहीं है बल्कि एक देश चलाता है देश के प्रति समर्पित है।
इस व्यक्तित्व में भी मुझे सम्मोहन की कला नजर आती है।
मैं कई बार सोचता हूँ कि इंसान में बुराइयां होती ही हैं मोदी जी में भी होंगी। ढूंढता भी हूँ मिलती भी हैं लेकिन उनकी अच्छाइयों के आगे सभी निष्क्रिय पड़ जाती हैं।
मैं भी ओशो के प्रिंसिपल के तरह हो जाता हूँ।
आज यह तस्वीर दिखी मुझे तो मुझे याद आया कि हाँ जो मुझे इस तस्वीर को देखने के बाद महसूस हो रहा है वही सम्मोहन है और कुछ नहीं।
इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री के व्यस्ततम समय सारणी में इन पक्षियों के लिए भी वक़्त है अद्भुत।
मेरे हिसाब से यह शब्द ऐसी चीजों के लिए ही बना है।
सौजन्य : दिनेश शुक्ल





