श्री गंगा माता जी की आरती
एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥
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आरती संग्रह
एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥
ज्योति सभी बुझाने अकबर आया था |
क्षमा मांगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था ||
रोगों से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल कायाअन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
धर्मो रक्षति रक्षितः