श्री सन्तोषी माता जी की आरती-1
गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥
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आरती संग्रह
गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥
जो ध्यावे फल पावे,सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से,श्री श्याम-श्याम उचरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥
देवी धूमक वाहन राजत,वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत,झननन झननन रमती राजन्ती॥
धर्मो रक्षति रक्षितः