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बोहरा और बोहरानी

बोहरा और बोहरानी (पुरानी ग्रामीण आँचलिक कहानी) एक था बोहरा और एक थी बोहरानी। एक दिन बोहरानी भैंस का दूध दुहने बैठी और वहां उसके पेट से हवा निकल गई। बोहरानी शरमा गई। उसने महसूस किया …

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सन्यासियों का विश्राम

सन्यासियों का विश्राम दो संन्यासी युवक यात्रा करते-करते किसी गाँव में पहुँचे। लोगों से पूछा हमें एक रात्रि यहाँ रहना है किसी पवित्र परिवार का घर दिखाओ ।लोगों ने बताया कि वहाँ एक वृद्ध बाबा का …

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आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ…हर इंसान के बचपन का सपना

आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ… कितनी यादें जुड़ी होंगी इस गाने से कितने सारे हिंदुस्तानियों की | बचपन के सारे सुने हुए गीतों मे से ये गाना अपनी अलग ही पहचान रखता है| एक …

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छह मूर्ख-पुरानी ग्रामीण आँचलिक कहानी

दादाजी भी उस लड़के से कुछ कम नहीं थे। बोले, “अरे वाह, यह फूलकी तो बहुत ही बढ़िया दिखती है। फट-फट बजती है, और पट-पट बोलती है।” लड़के की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। जब ब्यालू का समय हुआ, तो लड़के ने पूछा, “मां, इस फूलकी को मैं कहां रख दूं? ”

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बनिया और कौआ

बनिया और कौआ (पुरानी ग्रामीण आँचलिक कहानी) एक कौआ था। वह रोज बनिये के बेटे के हाथ से पूड़ी छीनकर ले जाता था। उसने कौए को सबक सिखाने की सोची। एक दिन बनिये ने अपने मुंह …

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