इन तांत्रिक मंत्रों के जाप से प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी
वर्षों से मनुष्य का सर्वप्रथम उद्देश्य रहा है लक्ष्मी अर्थात श्री की प्राप्ति. जिस व्यक्ति पर लक्ष्मी कृपा होती है, उस पर दरिद्रता, दुर्बलता, कृपणता, असंतुष्टि और पिछड़ापन कभी नहीं टिकता. वर्तमान समय में जीवन में अर्थ के बिना सफलता असंभव है.
जीवन में धन का होना सौभाग्य, शक्ति और वैभव का प्रतीक है, लेकिन धन को बनाये रखना एक बड़ी समस्या है, क्योंकि लक्ष्मी चंचला होती हैं. हिंदू पूजा और तंत्र शास्त्र में धनी व्यक्ति का अर्थ केवल सांसारिक रूप से ही धनी नहीं होना है, वरन मानसिक और पारिवारिक रूप से संपन्न, समृद्ध और शांति प्राप्त करनेवाला माना जाता है. मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, तो कुबेर धन के संरक्षक हैं. धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी और कुबेर दोनों की कृपा जरूरी है.
शास्त्रों में स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के स्वभाव को भी श्री कहा गया है. लक्ष्मी प्राप्ति के लिए न केवल घर को स्वच्छ रखने की जरूरत है, वरन घर के आसपास और मन को भी स्वच्छ और साफ सुथरा रखने की जरूरत है. घर का उत्तर पूर्व का कोना देवभूमि कहा जाता है. इस कोने की प्रत्येक दिन सफाई करें और कभी भी इस कोने में टॉयलेट या नाली का निर्माण नहीं करें.
मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. विष्णु पुराण के अनुसार लक्ष्मी भृगु की पुत्री हैं. वह विष्णु के साथ क्षीर सागर में निवास करती हैं. दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण उन्होंने स्वर्ग का त्याग किया और क्षीर सागर को अपना निवास स्थान बनाया. महालक्ष्मी महान गुरु शुक्राचार्य के साथ-साथ चंद्र की बहन हैं. जब देव और दानव ने श्री क्षीर सागर का मंथन किया, तो लक्ष्मी और चंद्र मंथन से निकले. मां लक्ष्मी के दाहिने हाथ में कमल व अभय मुद्रा है, जो भक्त को शक्ति और बुद्धिमता का वरदान देता है. मां लक्ष्मी के बायें हाथ में कलश है, जो समृद्धि व धन प्रदान करता है.
मां तारा हैं लक्ष्मी स्वरूपा : गुरु रामानुज सिंह जी (सरकार बाबा), तारापीठ विद्यारागी आश्रम के अनुसार मां तारा लक्ष्मी स्वरूपा हैं. मां लक्ष्मी को श्री विद्या, षोडशी, ललिता, राज-राजेश्वरी, बाला पंचदशी अनेक नामों से जाना जाता है. इसके साथ ही धन लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, आदि लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, सनातन लक्ष्मी आदि लक्ष्मी के ही स्वरूप हैं. वह वर देने के लिए सदा-सर्वदा तत्पर रहती हैं. मां लक्ष्मी ऐश्वर्य, धन, पद जो भी चाहिए, सब कुछ प्रदान करती हैं. हमारी जन्मपत्री में बृहस्पति धन के मुख्य ग्रह हैं तथा बृहस्पति की मुख्य देवता मां लक्ष्मी हैं.
धन की प्राप्ति के लिए ‘ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट’ इस मंत्र का प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार पाठ करें. दिवाली के दिन 1008 बार पाठ करें. याद रखें, इसके लिए उस दिन शुद्धता, सात्विकता, स्वच्छता व शाकाहारी होना जरूरी है. अपना घर स्वच्छ रखें और पीले वस्त्र पहनें.
ग्रंथों में लक्ष्मी, यश-कीर्ति की प्राप्ति और अलक्ष्मी के नाश के उपाय के रूप में कई उपाय मिलते हैं. मंत्र से भी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है.
‘ऊं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमही तन्नो लक्ष्मी देवी प्रचोदयात’ इस मंत्र का दीपावली के दिन 1008 बार पाठ करें. गृहस्थ को हमेशा कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. कमलासना लक्ष्मी की आराधना से इंद्र को देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त हुआ था. इंद्र ने लक्ष्मी की आराधना ‘कमलवासिन्यै नम:’ मंत्र से की थी. यह मंत्र आज भी अचूक है. दीपावली के मौके पर अपने घर के ईशान कोण में कमलासन पर मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजित कर श्रीयंत्र के साथ यदि उक्त मंत्र से पूजन किया जाये और निरंतर जाप किया जाये, तो चंचला लक्ष्मी स्थिर होती हैं.
दीपावली की रात देवी लक्ष्मी के साथ एकदंत मंगलमूर्ति गणपति की पूजा की जाती है. पूजास्थल पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति या तसवीर के पीछे शुभ और लाभ लिखा जाता है व इनके बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. लक्ष्मीजी की पूजा से पहले भगवान गणेश की फूल, अक्षत, कुमकुम, रोली, दूब, पान, सुपारी और मोदक मिष्ठान से पूजा की जाती है. फिर देवी लक्ष्मी की पूजा भी इसी प्रकार से की जाती है.
कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं. पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र उन्हें ही स्वामी बनाया गया है. कुबेर भगवान शिव के परम प्रिय सेवक भी हैं. धन के अधिपति होने के कारण उन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है. कुबेर मंत्र को उत्तर की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है. अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है-
‘ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:’
इस मंत्र का दीपावली के दिन 1008 बार पाठ करें.
दीपावली के दिन मां काली की भी पूजा होती है. मां काली को खुश करने के लिए ‘ऊं क्रिं क्रिं दक्षिणकालीकायेय नम:’ का पाठ करें. पश्चिम बंगाल और असम में इस दिन काली पूजा मुख्य पूजा है.
इन्हें रखने से मां लक्ष्मी होती हैं प्रसन्न
ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में कई ऐसी वस्तुओं के बारे में बताया गया है, जिन्हें घर में रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और वे वस्तुएं धन को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
1.चांदी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति : धनतेरस या दीपावली के दिन विधिवत पूजन के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए. प्रतिदिन पूजन से धन धान्य और शांति बनी रहती है.
2.पारद लक्ष्मी प्रतिमा : तंत्र शास्त्र में पारद से निर्मित देव प्रतिमाओं को बहुत ही विशेष माना गया है.धनतेरस या दीपावली के दिन इस प्रतिमा की स्थापना घर के पूजन स्थान पर करें और इसकी पूजा करनी चाहिए. पारद लक्ष्मी प्रतिमा के पूजन से घर को बुरी नजर नहीं लगती.
3.मां लक्ष्मी की चरण पादुकाएं : धनतेरस या दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की चांदी से निर्मित चरण पादुकाएं धन स्थान पर इस प्रकार रखें कि इसकी दिशा धन स्थान की ओर जाती हुई रहे. इसका अर्थ है लक्ष्मी सदैव आपके धन स्थान में ही निवास करें.
4.कुबेर प्रतिमा : भगवान कुबेर समस्त संसार के धन की रक्षा करते हैं. धनतेरस या दीपावली के दिन इनकी प्रतिमा घर की उत्तर दिशा में रखें.
5.श्रीयंत्र : शास्त्रों में श्रीयंत्र की विशेष महिमा बतायी गयी है. इसे यंत्र राज की उपाधि दी गयी है.धनतेरस या दीपावली के दिन इसकी स्थापना घर के पूजन कक्ष में करनी चाहिए.
6.एकाक्षी नारियल : तंत्र से लक्ष्मी पूजन में एकाक्षी नारियल का विशेष महत्व है. एकाक्षी नारियल के ऊपर आंख के समान एक चिह्न होता है, इसलिए इसे एकाक्षी (एक आंख वाला) नारियल कहा जाता है. धनतेरस या दीपावली के दिन इसे धन स्थान अथवा पूजन स्थान कहीं पर भी रख सकते हैं.
7.दक्षिणावर्ती शंख : तंत्र-मंत्र में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व है. धनतेरस या दीपावली के दिन इसे घर के पूजा स्थान या तिजोरी में रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
8.लघु नारियल : ये नारियल आम नारियल से थोड़ा छोटा होता है. तंत्र-मंत्र में इसका खास महत्व है. धनतेरस या दीपावली के दिन इसकी विधि-विधान से पूजा कर लाल कपड़े में बांध कर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहां किसी की नजर इस पर न पड़े. इस उपाय से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं.
9.कमल गट्टा : कमल गट्टा कमल से निकलने वाला एक प्रकार का बीज है. चूंकि मां लक्ष्मी कमल पर ही विराजमान होती हैं. धनतेरस या दीपावली के दिन इसे घर के पूजन स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
10.कौड़ी : लक्ष्मीजी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और कौडिय़ां भी समुद्र से निकलती हैं. इसलिए इसमें धन को अपनी ओर आकर्षित करने का प्राकृतिक गुण होता है. धनतेरस या दीपावली के दिन इसे धन स्थान पर रखना शुभ होता है.
11.मोती शंख : मोती शंख बहुत ही चमत्कारी होता है. इसे घर में रखने से धन-संपत्ति बढ़ने लगती है और परिवारवालों के बीच सामंजस्य बना रहता है. धनतेरस या दीपावली के दिन इसे अपनी तिजोरी में रखें.
सम्बंधित लेख सारणी:
- धनतेरस के दिन क्या खरीदें और क्या नहीं ?
- धनतेरस की 4 पौराणिक कथायें
- नरक चतुर्दशी कैसे मनाएं ?
- नरक चतुर्दशी की ७ पौराणिक कथाएं
- दीपावली पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त
- दिवाली की पूजा में प्रसाद
- Four Great Night of Tantra:तंत्र-मन्त्र की चार महान रात्रियाँ
- दिवाली पर किये जाने वाले मन्त्र एवं उपाय
- First day of Diwali : Dhanteras
- The Second Day Of Diwali-Narak Chaturdashi
- Mumbai looks deserted in Diwali
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com