मूस मोटाई लोढ़ा होई:भोजपुरी मुहावरा
आइए आज जानते हैं भोजपुरी की एक और मजेदार कहावत के बारे में ‘ मूस मोटाई लोढ़ा होई ‘।अधिकतर इस कहावत को इतना ही प्रयोग करते हैं हालांकि पूरी कहावत इस प्रकार है:
मूस मोटाई लोढ़ा होई, न हाथी न घोड़ा होई
मूस मोटाई लोढ़ा होई-शब्दों का अर्थ
हाथी घोड़ा तो सबको समझ में आ ही गया होगा। अब ये मूस और लोढ़ा क्या है इसी चक्कर में अक्सर शहरी लोग चक्कर खा जाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुर क्षेत्र के आस-पास मूस शब्द चूहे के लिए प्रयोग करते हैं। खड़ी हिंदी में चूहा का प्रयोग करते हैं हालांकि मूस शब्द संस्कृत के मूषक से लिया गया है।
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अब लोढ़ा शायद आज कल की मेट्रो प्रजाति को बिल्कुल न पता हो परंतु पहले घर में मिक्सी और ग्राइंडर आने से पहले हमारे घरों में चटनी, मसाले इत्यादि पीसने के लिए सील बट्टे का प्रयोग होता था। ‘सील’ शब्द भी ‘शिला‘ का अपभ्रंश है जिसका अर्थ पत्थर होता है। सील पत्थर की एक पतली पट्टी होती थी जिस पर चटनी के पदार्थों को रखकर एक छोटे बेलननुमा पत्थर के बट्टे से पीसकर चटनी बनाया करते थे।
इसी बट्टे को भोजपुरी में लोढ़ा कहते हैं। यह थोड़ा छोटा पर मोटा बेलननुमा आकार का होता है। बस इसी लोढ़े से किसी मोटे चूहे की तुलना की गई है।
मूस मोटाई लोढ़ा होई मुहावरे का अर्थ
अब मुहावरे का अर्थ समझते हैं।
मूस मोटाई लोढ़ा होई, ना हाथी न घोड़ा होई
अर्थ : चूहा चाहे कितना भी मोटा हो जाए लेकिन कभी हाथी या घोड़ा नहीं बन सकता। भले ही आप उसे कितना भी खिला-पिला लें या उस पर काम कर लें एक निश्चित सीमा से अधिक वह नही बढ़ सकता ।
अब आप कहेंगे कि ‘अरे भाई कहना क्या चाहते हो?’ 😛
तो इसका भावार्थ ये है कि
‘अयोग्य पात्र को चाहे कितना भी योग्य बनाने का प्रयास कर लो, परंतु वह एक निश्चित सीमा से आगे कभी बढ़ नही सकता ।’
आज कल कंपनियों में मानव संसाधन विभाग ( Human resource department-HR ) इसीलिए होता है कि कही कोई अयोग्य व्यक्ति का चयन न हो जाए।
मूस मोटाई त लोढ़ा न होई का उदाहरण
आइए अब एक उदाहरण देखते हैं :
राम अवतार बाबा खेते में सस्ता बीज बो देहलन । नतीजा उपज घटके आधा रह गयल। अब मूस मोटाई त लोढ़ा न होई अउर का होई।
खड़ी हिंदी में- गांव के रामवतार बाबा ने अपने खेतों में खराब गुणवत्ता (quality) के बीज बो दिए जिससे जब फसल उगी तो बहुत कम उत्पादन हुआ। अब खराब गुणवत्ता का बीज कितना उत्पाद देगा । चूहा कितना भी बड़ा हो, हाथी घोड़ा तो नही हो जायेगा। वही कहावत यहां सटीक बैठती है।
अन्य प्रकार से उच्चारण
कुछ लोग इसी मुहावरे का अन्य प्रकार से भी कहते हैं परन्तु उन सभी का अर्थ एक ही होता है जैसा की हमने ऊपर बताया है
- मूस मोटइहें, लोढ़ा होइहें, ना हाथी, ना घोड़ा होइहें
- मूस मोटा के लोढ़ा होई, हाथी घोड़ा न होई