Join Adsterra Banner By Dibhu

दशहरा पर निबंध|Dashahara Nibandh in Hindi

5
(6)

प्रस्तावना

दशहरा भारत वर्ष के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे बुराई के ऊपर अच्छाई के जीत का त्यौहार भी माना जाता है। वैसे तोहमारे देश के सभी त्योहारों का अलग ही रंग है जैसे होली पर उल्लास का , शिवरात्रि पर ज्ञान का और दिवाली पर समृद्धि का, परन्तु दशहरे के त्यौहार का एक अलग ही रस है। यह रस है वीरता का, अन्याय के प्रति प्रतिरोध का,और दुष्ट शक्तियों के सर्वनाश का। यही कारण है की दशहरे के दिन शक्ति पूजा का विशेष महत्त्व है। देश की जनता में न्याय के प्रति आस्था और धर्म एवं देश की रक्षा के हेतु वीर रास के संचार का प्रमुख दिन है दशहरा अर्थात विजयदशमी।

दशहरा के विभिन्न नाम

दशहरा को देश के विभिन्न भागों में अन्य नामों से भी जान जाता है। जैसे दशहरा (Dashahara), विजय दशमी(Vijayadashami), दसरा(Dasara) (दक्षिण भारत में ), दशेरा (Dussera) (लोकांचल में ), आयुध पूजा (Ayudh Pooja)। वस्तुतः दशहरा और विजयदशमी ही मुख्य प्रचलित नाम हैं।

दशहरा का महत्व

दशहरा केवल एक त्यौहार ही नहीं वरन समाज के सशक्तिकरण का भी उत्कृष्ट माध्यम है। दशहरा पर्व पर कई दिनों से चले आ रहे सार्वजानिक रामलीलाओं के माध्यम से अच्छाई का बुराई पर विजय की यह भावना समाज के हर वर्ग में सामूहिक रूप उनके मानस पटल पर अंकित हो जाती है। नैतिक मूल्यों की प्रतिवर्ष पुनर प्रतिस्थापना का यह पर्व सामाजिक वातावरण को शुद्ध करने में सहायक है। यदि इसे सही भावना और सोच के साथ मनाया जाए तो समाज में नैतिक चरित्र की दृढ़ता, समरसता आदि सद्गुणों का विकास होता है। छोटे छोटे बालक यही रामलीला और दशहरा के पर्व से प्रेरणा लेकर बड़े होने पर एक उत्तम समाज के निर्माता बनाते हैं।

दशहरे का पर्व नारी शक्ति के सम्मान का भी प्रतीक है। इसी विजयदशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। जो कार्य देवताओं के लिए भी असंभव था वह मातृ शक्ति ने सहज ही कर दिखलाया। इस प्रकार दशहरे का पर्व हमें नारी शक्ति का अपूर्व प्रभाव भी बताता है। यह हमें याद दिलाता है की नारी स्वयं शक्ति है।

इस प्रकार दशहरा पर्व सही अर्थों में समाज के चारित्रिक उत्थान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

छोटे छोटे पारम्परिक खिलौने बनाने वालों , कारीगरों के लिए भी दशहरा बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन बालक वृन्द खूब खिलौने खरीदते हैं और घूम-घूम कर सजावट का आनंद उठाते हैं। नए वाहनों और अस्त्र आदि की भी विक्री विजयदशमी के दिन बहुतायत से होती है। सब और उमंग उल्लास का वातावरण होता है।

की बुराई पर विजय होती है। इस उपलक्ष्य में आज भी दशहरा को रावण , कुम्भकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाया जाता है।

दशहरे से संबंधित पौराणिक कथाएँ

दशहरा की पौराणिक कथा 1: माता दुर्गा द्वारा महिषासुर संहार

पौराणिक काल में महिषासुर नामक असुर ने कठोर तपस्या के द्वारा ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके केवल स्त्री के सिवाय किसी अन्य से न मारे जाने का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान के प्रभाव से महिषासुर ने समस्त देवताओं को परास्त करके उनका राज्य छीन लिया और अनेकों अत्याचार करने लगा। इस विकट परिस्थिति से उबरने के लिए समस्त देवता एक स्थान पर एकत्र होकर देवी भगवती की स्तुति करने लगे। तब सभी देवताओं के मुख निसृत तेज़ से पराम्बा भगवती का माता दुर्गा के रूप में प्राकट्य हुआ। माता ने देवताओं की और से युद्ध करके महिषासुर और उसकी समस्त सेना का संहार कर दिया। महिषासुर का वध दशहरे के ही दिन हुआ था अतः तब से विजयदशमी का पर्व मनाया जाने लगा।

दशहरा की पौराणिक कथा 2: प्रभु श्री राम द्वारा रावण वध

दशहरे की दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ जी के पुत्र भगवान राम जी की पत्नी माता सीता का अपहरण लंका के राक्षस राज रावण ने चोरी से कर लिया। भगवान राम ने वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करके रावण का वध कर दिया और माता सीता को पुनः को पुनः मुक्त कराया। अधर्मी रावण का वध भी दशरे के दिन ही हुआ था। अतएव इस दिन भरी उत्सव मनाया जाता है और रावण , उसके भाई कुम्भकर्ण और उसके पुत्र मेघनाद के पुतले जलाये जाते हैं।

अच्छाई का बुराई के ऊपर के विजय का त्यौहार

दशहरा का त्यौहार अच्छाई का बुराई के ऊपर विजय का पर्व है। यह हमें बताता है कि बुरी शक्तियों से संघर्ष सबके लिए आवश्यक है। यहाँ तक कि देवताओं को भी अपने अधिकार के लिए निरंतर संघर्ष कारण पड़ा। सब और से हार जाने पर भी अंत में उन्हें अपना अधिकार मिल ही गया और अत्याचारी का अंत हुआ। मानव के संघर्ष कि महत्ता भगवान ने भी मानव अवतार ले के समझायी। उन्होंने किसी ईश्वरीय शक्ति का प्रयोग नहीं किया वरन कठिनतम परिस्थितियों में भी सतत संघर्ष करके बुराई के ऊपर विजय प्राप्त की।

अतः केवल इसे अच्छाई का बुराई के ऊपर विजय का त्यौहार केवल कह देने मात्र से इति श्री नहीं हो जाती। वरन जब तक आप मन की गहराइयों से यह प्रेरणा न लें की अच्छाई के उत्थान के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, तब तक आपने सही अर्थों में दशहरा मनाया ही नहीं। उठें और अच्छाई की विजय के लिए पुनः संघर्ष का संकल्प लें दशहरे के परम पुनीत दिवस पर इस बार।

दशहरा कब मनाया जाता है

दशहरा पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह शारदीय नवरात्र की अंतिम तिथि नवमी के तुरंत बाद की ठीक अगली तिथि है। अर्थात आश्विन शुक्ल पक्ष के पहले ९ दिन नवरात्रि और दसवें दिन दशहरा। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह तिथि हर वर्ष सितम्बर से नवंबर के मध्य आती है। इस समय का वातावरण हल्का गुलाबी ठण्ड लिए हुए होता है और बहुत ही सुखद अनुभूति देता है। वर्षा ऋतू बस अभी अभी समाप्त हुयी होती है और शीत ऋतू बस अपन पाँव पसार ही रही होती है। ऐसे में वातावरण बहुत ही खुशनुमा हो जाता है।

दशहरा की कुछ विशेष बातें

दशहरा के दिन को कई कारणों से बहुत विशेष माना जाता है। यह कारण निम्न हैं,

  • इस दिन कोई भी कार्य किया जय तो उसमें सफलता मिलने का अवश्यसंभावी है।
  • इस दिन आयुध पूजा अर्थात अस्त्र -शास्त्रों की पूजा करते हैं। यह दिन आपको आत्मरक्षा सिखाता है।
  • इस दिन लोग नया वाहन खरीदते हैं और वाहन की पूजा करते हैं।
  • इस दिन लोग नए घर का गृह प्रवेश आदि शुभ कर्म भी करते हैं।
  • यह दिन अनबूझ मुहूर्त हैअर्थात कोई भी कार्य करने के लिए इस दिन मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। सभी मुहूर्त इस दिन शुभ हैं।
  • साधना तंत्र आदि आदि के लिए यह एक शक्तिशाली दिन है।

दशहरा कैसे मनाते हैं

दशहरा -विजयदशमी पर लोग देवी दुर्गा और भगवान श्री राम की पूजा करते हैं। संध्या वेला में शहरों और गावों में लोग रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाते हैं। देश मैं कई जगहों पर रामलीला नाटकों का कई दिनों से चल रहा मंचन दशहरे के दिन ही रावण वध के प्रसंग से समाप्त होता है। नौ दिनों से चली आ रही दुर्गा पूजा का समापन विजयदशमी के ही दिन होता है। पश्चिमी भारत में सुप्रसिद्ध शारदीय नवरात्र का गरबा नृत्य का उत्सव भी विजयदशमी को ही समाप्त होता है। हर जगह हर्ष उल्लास का वातारवरण होता है। कई जगहों पर मेले भी लगते हैं। लोग इस दिन नए वाहन खरीदते हैं। गृह प्रवेश जैसे आदि कई शुभ कर्म भी विजयदशमी के दिन किये जाते हैं। हथियार-शस्त्रों एवं वाहनों की पूजा भी आज ही के दिन संपन्न होती है। साधकगण इस दिन कई तंत्र मन्त्र की साधनायें भी संपन्न करते हैं।

दशहरा पर हिन्दू परिवारों में तरह-तरह के पारम्परिक व्यंजन, पकवान और मिठाइयां आदि बनायी जाती हैं। पूरी, हलवा, खीर, कचौड़ी , मोतीचूरबेसन के लड्डू , बर्फी, पेड़ा व्यंजन बड़े चाव से बनाये व खाये-खिलाये जाते हैं। बालक वृद्ध सब पारम्परिक परिधानों में सज धजकर माँ दुर्गा व भगवान राम की पूजा करने के बाद रावण दहन देखने के लिए मैदान में जाते हैं।

प्रसिद्ध दशहरा उत्सव स्थल

वैसे तो देश में हर स्थान का दशहरा अपना अलग महत्व रखता है और उनकी अपनी विशेषता है। फिर भी कई स्थानों पर विजयदशमी के उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्द हैं। कर्णाटक राज्य के मैसूर राजघराने द्वारा मनाया जाने वाला दशहरा वहां दसरा कहकर सम्बोधित किया जाता है और गज की सवारी सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के चलते मनमोहक दृश्य उपस्थित करता है। यह दशहरा विश्वप्रसिद्ध है।

उत्तराखंड का कुल्लू का दशहरा भी पर्वतीय अंचलों में बहुत प्रसिद्द है। इसी प्रकार हिन्दू देश नेपाल में भी दशहरा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। दिल्ली के रामलीला मैदान का रावण दहन भी बहुत प्रसिद्द है।

भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली काशी नगरी के रामनगर का रामलीला भी विश्व प्रसिद्द है । यहाँ रामलीला का विभिन्न चरणों का मंचन सहारा के विभिन्न स्थलों पर होता है। इसका समापन भी दशहर के दिन होता है और कई सांस्कृतिक काय्रक्रमों का आयोजन होता है।

उपसंहार

दशहरा पर्व का भारतीय समाज में बहुत महत्त्व है। सामाजिक चेतना के उत्थान के लिए और एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए विजयदशमी के पर्व को और अच्छे ढंग से मनाये जाने की जरूरत है। हमारे आज के समाज ने इस पर्व के मूल अर्थ को भुला सा दिया है और केवल लीक सी पीटते जा रहे हैं। हर्ष उल्लास के साथ साथ दशहरा पर्व का पारम्परिक महत्त्व सही ढंग से समझाना चाहिए और use आज के सामाजिक परिवेश से सही ढंग से जोड़ना चाहिए , तब ही हम सच्चे अर्थों में दशहरा मना पाएंगे।

Buy Authentic eBooks Published by Dibhu.com

Dibhu.com has released an ebook on Prabhu Shri Ram Pooja Stotra Collection

Shri Ram Pooja Hymn Collection cover Dibhu_7

Prabhu Shri Ram Pooja Stotra Collection

Pooja Procedure, Shri Ram Chalisas, Rakshastrot, Stuti & Arati with Meaning in English & Hindi

  1. Shodashopachar Pooja Procedure
  2. Shri Ram Chalisas by Sant Haridas & Sundardas
  3. Ramrakshastrot by Buhdkaushik Rishi
  4. Shri Ram Stuti done by Bhagwan Shiva
  5. Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Aarti
  6. Also All Hymns: Only Transliteration & Hindi-Roman Text (For distraction-free recitation during Pooja)

In case you have any problems with your transaction your can write to heydibhu@gmail.com, or Connect@dibhu.com or just leave your comments below this post. We will resolve your issues within 24 working hours.

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,


Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com


7 Comments on “दशहरा पर निबंध|Dashahara Nibandh in Hindi”

  1. This article is actually a nice one. Tells a lot about how they celebrate Dussera in India.

  2. बहुत सुन्दर जानकारी है।

  3. अच्छाई की सदैव बुराई पर विजय हो और सत्य की सदैव विजय हो।जय जय श्री राजा राम ! पतित पवन सीता राम

  4. जब तक इंसान प्रभु राम के पथ पर चलेगा, तब तक हर आतंकी रावण ऐसे ही जलेगा

  5. बुराई पर अच्छाई की जीत है दशहरा ।
    जय श्री राम

  6. दशहरे पर जरूरी है अपने अंदर के रावण का अंत
    सही मायने में दशहरे का है आपसे यही संबंध

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्मो रक्षति रक्षितः