Join Adsterra Banner By Dibhu

बन्धन पर कबीर के दोहे |Kabir ke Dohe On Bondage

0
(0)

आंखो देखा घी भला, ना मुख मेला तेल
साधु सोन झगरा भला, ना साकुत सोन मेल।

Aakhon dekha ghee bhala,na mukh mela tel
Sadhu son jhagra bhala,na sakut son mel.

भावार्थ: धी देखने मात्र से ही अच्छा लगता है पर तेल मुॅुह में डालने पर भी अच्छा नहीं लगता है।संतो से झगड़ा भी अच्छा है पर दुष्टों से मेल-मिलाप मित्रता भी अच्छा नहीं है।

Meaning: Ghee looks good even to see but oil is not good even to taste.Even a quarrel with the saint is good but any relation with the wicked is not good.

उॅचै कुल के कारने, बंस बांध्यो हंकार
राम भजन हृदय नाहि, जायों सब परिवार।


banner

Unchai kul ke karne,bansh bandhyo hankar
Ram bhajan hirday nahi,jayo sab pariwar.

भावार्थ: उच्च कुल-वंश के कारण बाॅंस घमंड से बंधा हुआ अकड़ में रहते है। जिसके ह्रदय में राम की भक्ति नहीं है उसका संपूर्ण परिवार नष्ट हो जाता है। बाॅंस के रगड़ से आग पैदा होने के कारण सारे बाॅंस जल जाते हंै।

Meaning: The bamboo is bound with vanity being of a high caste, All family perishes, if there is no devotion to Ram.

उजर घर मे बैठि के, कैसा लिजय नाम
सकुट के संग बैठि के, किउ कर पाबेराम।

Ujar ghar me baithi ke kiska lijay nam
Sakut ke sang baithi ke,kiuo kar pabe Ram.

भावार्थ: सुनसान उजार घर में बैठकर किसका नाम पुकारेंगे।इसी तरह मुर्ख-अज्ञानी के साथ बैठकर ईश्वर को कैसे प्राप्त कर सकंेगे।

Meaning: Sitting in a deserted house, whom does one call. Sitting with an idiot, how does one get Ram.

एक अनुपम हम किया, साकट सो व्यवहार
निन्दा सती उजागरो, कियो सौदा सार।

Ek anupam hum kiya,sakat so byabhar
Ninda sati ujagaro,kiyo sauda sar.

भावार्थ: मैने एक अज्ञानी से लेनदेन का व्यवहार कर के अच्छा सौदा किया।उसके द्वारा मेरे दोषों को उजागर करने से मैं पवित्र हो गया। यह व्यापार मेरे लिये बहुत लाभदायी रहा।

Meaning: An excellent job I did by transacting with the fool. With strictures from him, I became clean. It was a good bargain.

कंचन मेरु अरपहि, अरपै कनक भंडार
कहै कबीर गुरु बेमुखी, कबहु ना पाबै पार।

Kanchan meru arpahi,arpai kanak bhandar
Kahai Kabir guru bemukhi,kabahu na pabai par.

भावार्थ: भले आप स्वर्ण भंडार या सोने का पहाड़ दान में दे दें, लुटा दें पर यदि आप गुरु के उपदेसों के प्रति उदासीन हैं तो आप संसार सागर को पार नहीं कर पायेंगे।

Meaning: Even if you donate a hill of gold or a treasure of gold. Kabir says, if you are indifferent to your Guru, you willnever cross this worldly sea.

कबीर साकट की सभा तु मति बैठे जाये
ऐक गुबारै कदि बरै, रोज गाधरा गाये।

Kabir sakat ki sabha tu mati baithe jaye
Ek gubarai kadi barai,roj gadhara gaye

भावार्थ: कबीर मूर्खों की सभा में बैठने के लिये मना करते है। यदि एक गोशाला में नील गाय, गद्हा और गाय एक साथ रहेंगे तो उन में परस्पर अवस्य लड़ाई झगड़ा होगा। दुष्ट की संगति अच्छी नहीं है।

Meaning: Kabir says you don’t ever sit in the assembly of idiots. If there are antelopes,ass and cow in the shed,they will certainly quarrel among themselves.

खशम कहाबै वैषनव, घर मे साकट जोये
एक घड़ा मे दो मता, भक्ति कहां ते होये।

Khasam kahabai vaishnav,ghar me sakat joye
Ek ghara me do mata,bhakti kahan te hoye.

भावार्थ: पति ईष्वर का भक्त वैष्वनव और पत्नी बेबकूफ मूर्ख हो तो एक ही घर में दो मतों विचारों के कारण भक्ति कैसे संभव हो सकती है।

Meaning: The husband is the devotee of God, wife is an idiot. If there are two views in the house, how will the devotion arise.

कबीर गुरु की भगति बिनु, राजा रसम होये
माटिृ लड़ै कुमहार की,घास ना डारै कोये।

Kabir Guru ki bhagati binu,raja rasam hoye
Mati ladai kumhar ki,ghas na darai koye.

भावार्थ: कबीर कहते है की गुरु की भक्ति बिना एक राजा गद्हा के समान है। उसके उपर कुम्हार की मिटृी लादी जाती है और उसे कोई घास भी नहीं देता है। गुरु ज्ञान के बिना राजा भी महत्वहीन है।

Meaning: Kabir says without the devotion of Guru,the king becomes ass. Clay is loaded on a potter and no one provides him grass.

कबीर चंदन के भिरे, नीम भी चंदन होये
बुरो बंश बराईया, यों जानि बुरु कोये।

Kabir chandan ke bhire,neem bhi chandan hoye
Buro bansh baraiya,youn jani burou koye.

भावार्थ: कबीर कहते है की च्ंादन के संसर्ग में नीम भी चंदन हो जाता है पर बाॅंस अपनी अकड़ घमंड के कारण कभी चंदन नहीं होता है। हमें धन विद्या आदि के अहंकार में कभी नहीं पड़ना चाहिये।

Meaning: In the company of a Sandal tree, the Neem too smells like Sandal. The bamboo in its pride can never become one like the sandal.

कबीर लहरि समुद्र की, मोती बिखरै आये
बगुला परख ना जानिये, हंसा चुगि चुगि खाये।

Kabir lahari samudra ki,moti bikhrey aaye
Bagula parakh na janiye,hansa chugi chugi khaye.

भावार्थ: कबीर कहते है की समुद्र के लहड़ के साथ मोती भी तट पर बिखर जाता है। बगुला को इसकी पहचान नही होती है पर हंस उसे चुन-चुन कर खाता है। अज्ञानी गुरु के उपदेश का महत्व नही जानता पर ज्ञानी उसे ह्रदय से ग्रहण करता है।

Meaning : Kabir says with the tide of sea, the pearl scatters all over the beach. The duck is unaware of he pearl but the swan eats picking it up.

गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान
गुरु बिन सब निस्फल गया, पुछौ वेद पुरान।

Guru bin mala ferte,guru bin dete dan
Guru bin sab nisfal gaya,puchhou ved puran.

भावार्थ: गुरु की शिक्षा के बिना माला फेरने और दान देने से कोई फल नहीं मिलने वाला है।यह बात वेद पुराण आदि प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी कही गयी है।

Meaning: If you repeat the rosary without a guru and donate without him.Everything becomes useless without guru,so says the ancient texts.

टेक करै सो बाबरा, टेकै होबै हानि
जो टेकै साहिब मिलै, सोई टेक परमानि।

Tek karai so babra,tekai hobai hani
Jo tekai sahib milai,soi tek parman.

भावार्थ: जिद करना मूर्खता है। जिद करने से नुकसान होता है। जिस जिद से परमात्मा की प्राप्ति हो वही जिद उत्तम है।

Meaning: An obstinate is a fool,obstinacy causes loss. The obstinacy which grants God,that is a good obstinacy.

टेक ना किजीय बाबरे, टेक माहि है हानि
टेक छारि मानिक मिले, सतगुरु वचन प्रमानि।

Tek na kijay babre,tek mahi hai hani
Tek chhari manik mile,satguru vachan pramani

भावार्थ: मुर्खों कभी हठ मत करो। हठ से बहुत हानि होती है। हठ छोड़ने पर माणिक्य रत्न की प्राप्ति होती है। यह सदगुरु के उपदेशों से प्रमाणित हो चुका है। जिद छोड़कर गुरु के उपदेशों को मानने पर ईश्वर रुपी रत्न की प्राप्ति होती है।

Meaning: An obstinate is an idiot,obstinacy causes loss. Leaving the obstinacy you get pearl,it is proved by the words of Guru.

गुरु बिन अहनिश नाम ले, नहि संत का भाव
कहै कबीर ता दास का, परै ना पूरा दाव।

Guru bin ahnish nam le,nahi sant ka bhaw
Kahai Kabir ta das ka,parai na pura daw.

भावार्थ: जो गुरु के निर्देश बिना दिन रात प्रभु का नाम लेता है और जिसके दिल में संत के प्रति प्रेम भाव नहीं है। कबीर कहते है की उस व्यक्ति का मनोरथ कभी पूरा नही होता है।

Meaning: One who repeats the name day and night without Guru and does not love the saints. Kabir says of that slave,his wish is never fulfilled completely.

मै तोहि सो कब कहयों, तु साकट के घर जाव
बहती नदिया डूब मरु, साकट संग ना खाव।

Mai tohi so kab kahyo,tu sakat ke ghar jaw
Bahti nadiya doob maru,sakat sang na khaw.

भावार्थ: शाक्त मांसाहारी संप्रदाय के पुजारी होते है। कबीर कहते है की मैने तुम से शाक्त के घर के जाने के लिये कभी नहीं कहा।
तुम बहती नदियाॅं में डूब कर मर जाओ पर शाक्त के साथ कभी मत खाओ।

Meaning: When have I told you to go to the house of a non vegetarian worshipper of God.You die by drowning in a flowing river but never eat with them.

निगुरा ब्राहमन नहि भला, गुरुमुख भला चमार
देवतन से कुत्ता भला, नित उठि भूके द्वार।

Nigura brahman nahi bhala,gurumukh bhala chamar
Devtan se kutta bhala,nit uthi bhuke dwar.

भावार्थ: एक मूर्ख ब्राहमन अच्छा नही है एक गुरु का शिष्य चर्मकार अच्छा है।देवताओं से कुत्ता अच्छा है जो नित्य उठकर दरवाजे पर भौंक कर चोरों से हमारी रक्षा करता है।

Meaning:A foolish brahmin is not good, a cobbler who is a disciple of Guru is good.A dog is better than deity, daily on rising barks at the door.

पसुवा सो पालोउ परयो, रहु हिया ना खीज
उसर बीज ना उगसी, बोबै दूना बीज।

Pasuwa so palow paryo, rahu rahu hiya na kheej
Usar beej na ugsi,bobai doona beej.

भावार्थ: पशु समान प्रवृति बाले लोगों से पाला पड़ने पर लगातार खीज होती रहती है।उसर परती जमीन पर दूगुना बीज डालने पर भी वह उगता नहीं है।

Meaning: One who is under the control of animal-like tendencies is vexed over and again.The seed does not grow in the fallow, even if you sow the seeds twice.

राजा की चोरी करै, रहै रंक की ओट
कहै कबीर क्यों उबरै, काल कठिन की चोट।

Raja ki chori karai,rahai rank ki oat
Kahai Kabir kyon ubrai,kal kathin ki chot.

भावार्थ: राजा के यहाॅं चोरी करके गरीब के घर शरण लेने पर कोई कैसे बच पायेगा।कबीर का कहना है की बिना गुरु के शरण में गये कल्पित देवताओं के द्वारा तुम मृत्यु के देवता काल के मार से कैसे बच पाओगे।

Meaning: Steal the things of king but remains in the garb of the poor.Says Kabir how can such a person release himeself from the blow of death.

भौसागर की तरास से, गुरु की पकरो बांहि
गुरु बिन कौन उबारसि, भौजाल धरा माहि।

Bhausagar ki tras se,Guru ki pakro banhi
Guru bin kaun ubarsi,bhaujal dhara mahi.

भावार्थ: इस संसार सागर के भय से त्राण के लिये तुम्हें गुरु की बांह पकड़नी होगी। तुम्हें गुरु के बिना इस संसार सागर के तेज धारा से बचने में और कोई सहायक नहीं हो सकता है।

Meaning: When you fear this wordly sea, catch the arm of the Guru.Only the Guru can deliver from the great currents of worldly water.

सब धरती कागज करुॅं, लेखन सब बनराय
साात समुंद्र की मसि करुॅं, गुरु गुन लिखा ना जाये।

Sab dharti kagad karun,lekhan sab banrai
Sat samudra ki masi karun,Guru gun likha na jaye.

भावार्थ: संपूर्ण धरती को कागज, सारी दूनियाॅ के जंगलों को कलम और सातों समुद्र का जल यदि स्याही हो जाये तब भी गुरु के गुणों का बर्णन नहीं किया जा सकता है।

Meaning: If whole earth becomes paper and all the branches of the trees become pen.If all seven seas become the ink, even then the merits of Guru can never be written.

सब कुछ गुरु के पास है, पाइये अपने भाग
सेबक मन सौंपे रहे, निशी दिन चारणांे लाग।

Sab kutchh Guru ke pas hai,paiye apne bhag
Sebak man saupe rahe,nishi din charno lag.

भावार्थ: गुरु के पास सब ज्ञान का भंडार है और हमें अपने हिस्से का उनसे प्राप्त हो सकता है यदि हम अपने मन का
समर्पण कर दे और हमेशा उनके चरणों की सेवा में रत रहें।

Meaning: Guru has all the resources, you can get your share from him.If you surrender your mind and daily sit at his feet.

प्रेम प्याला लो पिये, सीस दक्षिना देये
लोभी सीस ना दे सके, नाम प्रेम का लेये।

Prem piyala lo piye,sis dakshina deye
Lovi sis na de sake,nam prem ka leye.

भावार्थ: जो प्रेम का प्याला पीना चाहता है वह गुरु दक्षिणा में सिर का वलिदान भी देना जानता है।लोभी सिर नहीं दे सकता वह सिर्फ प्रेम का नाम भर लेता है।

Meaning: One who wishes to drink the cup of love,will have to give his head in reward.The lustful cannot give his head,he takes only the name of love.

हरि कृपा तब जानिये, दे मानव अवतार
गुरु कृपा तब जानिये, छुराबे संसार।

Hari kripa tab janiye,de manav awatar
Guru kripa tab janiye,chhurabe sansar.

भावार्थ: प्रभु की कृपा हम तब जानते है जब उन्हांेने हमें मनुष्य रुप में जन्म दिया है।गुरु की कृपा तब जानते है जब वे हमें इस संसार के सभी बंधनों से मुक्ति दिलाते है।

Meaning: You know the grace of God as he has given you birth as a man.You know the grace of Guru when he grants liberation from the world.

हरि रुठै गति ऐक है, गुरु शरनागत जाये
गुरु रुठै ऐकोय नहि, हरि नहि करै सहाये।

Hari ruthai gati ek hai,Guru sharnagat jaye
Guru ruthai ekoy nahi,Hari nahi karai sahay.

भावार्थ: प्रभु के रुठने से एक उपाय है की आप गुरु के शरण में चले जाये। परन्तु गुरु के रुठने से एक भी उपाय नहीं है क्यांेकि तब प्रभु भी उसकी कोई सहायता नहीं करते है।

Meaning: When God is displeased, you go to the shelter of Guru.When the Guru is displased, you don’t have any option,even the God does not come to help.

साकत संग ना जायीये, दे मांगा मोहि दान
प्रीत संगति ना मिलेय, छारै नहि अभिमान।

Sakat sang na jayiye,de manga mohi dan
Preet sangati na milay,chharai nahi abhiman.

भावार्थ: मूर्ख के साथ कभी मत जाइये चाहे वे आपको मुॅंहमांगा देने को तैयार हों।प्रेम नहीं मिलेगा कारण वे अपना अभिमान कभी नहीं छोडं़ेगे।

Meaning: Never go along with idiots even if he gives you as per your wishes.You won’t get love,he won’t abandon pride.

विषय से सम्बंधित लेख :

कबीर के दोहे-भाग 1-अनुभव: Kabir Ke Dohe-Experience
कबीर के दोहे-भाग 2-काल: Kabir Ke Dohe-Death
कबीर के दोहे-भाग 3-माया: Kabir Ke Dohe-Illusion
कबीर के दोहे-भाग 4-नारी: Kabir Ke Dohe-Women
कबीर के दोहे-भाग 5-सेवक: Kabir ke Dohe-Servant
कबीर के दोहे-भाग 6-भिक्षा: Kabir ke Dohe-Alms
कबीर के दोहे-भाग 7-वेश: Kabir ke Dohe-Garb
कबीर के दोहे-भाग 8-बन्धन: Kabir ke Dohe-8 Bondage
कबीर के दोहे-भाग 9-चेतावनी: Kabir Ke Dohe-Warning
कबीर के दोहे-भाग 10-वाणी: Kabir Ke Dohe-Speech
कबीर के दोहे-भाग 11-परमार्थ: Kabir Ke Dohe-Welfare
कबीर के दोहे-भाग 12-वीरता: Kabir Ke Dohe-Bravery
कबीर के दोहे-भाग 13-भक्त: Kabir Ke Dohe-Devotee
कबीर के दोहे-भाग 14-संगति: Kabir Ke Dohe-Company
कबीर के दोहे-भाग 15-परामर्श: Kabir Ke Dohe-Advice
कबीर के दोहे-भाग 16-मन: Kabir Ke Dohe-Mind
कबीर के दोहे-भाग 17-मोह: Kabir Ke Dohe-Attachment
कबीर के दोहे-भाग 18-लोभ: Kabir Ke Dohe-Greed
कबीर के दोहे-भाग 19-पारखी: Kabir Ke Dohe-Examiner
कबीर के दोहे-भाग 20-विरह: Kabir Ke Dohe-Separation
कबीर के दोहे-भाग 21-प्रेम: Kabir Ke Dohe-Love
कबीर के दोहे-भाग 22-ज्ञानी: Kabir Ke Dohe-Scholar
कबीर के दोहे-भाग 23-विश्वास: Kabir Ke Dohe-Faith
कबीर के दोहे-भाग 24-सर्वव्यापक ईश्वर: Kabir Ke Dohe-Omnipotent God
कबीर के दोहे-भाग 25-ईश्वर स्मरण: Kabir Ke Dohe-Rememberance
कबीर के दोहे-भाग 26-खोज: Kabir Ke Dohe-Search
कबीर के दोहे-भाग 27-क्रोध: Kabir Ke Dohe-Anger
कबीर के दोहे-भाग 28-बुद्धि: Kabir Ke Dohe-Intellect
कबीर के दोहे-भाग 29-संतजन: Kabir Ke Dohe-Saints
कबीरदास जी के प्रसिद्द दोहे

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,


Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्मो रक्षति रक्षितः