कलयुग में न जप है न तप है और न योग ही है।सिर्फ भगवान नाम ही इस कलिकाल में प्राणी मात्र का सहारा है। प्रभु का नाम सब प्रकार से कल्याण करने वाला है। कहा भी गया है कि
कलियुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।
भगवान के नाम कि इसी महिमा को लक्ष्य बनाकर भगवान नाम के बैंकों का गठन हुआ। इन बैंकों का मुख्य लाभ है कि आपका लिखा हुआ नाम लम्बे समय तक सुरक्षित रहता है।
भगवान नाम का बैंक
भगवान के नाम का बैंक में भगवान् के नाम का लेखन संग्रह किया जाता है । इन बैंकों में बाकायदा मैनेजर क्लर्क आदि कर्मचारी होते हैं। यहाँ पर लेन देन में भगवान के नाम का ही विनिमय किया जाता है। किसी प्रकार की सांसारिक बाजार की मुद्रा का व्यवहार नहीं होता है। इसका अर्थ यह है की आप यहाँ से भगवान के नाम का क्रय विक्रय नहीं करते हैं।
मूलतः इन बैंकों में आपको एक भगवान नाम लेखन की पुस्तिका मिलेगी, जिस पर आपको नियत संख्या में भगवान का नाम लिखकर बैंक में जमा करना होता है। आपका यह लेखन वहां पर संभलकर सुरक्षित रखा जाता है। इस कार्य से महान पुण्य अर्जित होता है।
भगवान नाम के जप से लेखन अधिक प्रभावशाली माना जाता है। क्योंकि लिखता समय आपका मन ध्यान और हस्त इन्द्रिय भी संलग्न होते हैं। इसके अलावा लिखते समय आप जप भी कर सकते हैं इस दशा में आपका लेखन जपने से कई गुना अधिक पुण्य दायी हो जाता है।
नाम लेखन का पुण्य अपरिमित हैं।
कलिकाल में प्रभु श्री राम,श्री कृष्ण, भगवान शिव, भगवान विष्णु माता दुर्गा आदि के नामों की प्रमुखता से महिमा वर्णन किया गया है।
श्री राम चन्द्र जी सहज ही कृपा करने वाले और परम दयालु हैं उस पर उनका नाम तो प्राणी मात्र को अभय प्रदान करने वाला और परम कल्याण कारी है।कलयुग में राम नाम का लिखित जाप सभी पापों को नष्ट कर मुक्ति प्रदान करने वाला है।
वर्तमान में भगवान के नाम का बैंक(Bhagwan Nam Bank) कई धार्मिक संस्थाएं चला रही हैं।
इनमें से एक बनारस में स्थित राम रमापति बैंक है। यह बैंक सं १९२६ में स्थापित हुआ था। इसमें मार्च २०१८ तक १९ अरब २८ करोड़ ८१ लाख ५० हज़ार (१९२८८१५००००) राम नाम एकत्र हो चुके थे। वर्त्तमान में यह संख्या और भी अधिक बढ़ चुकी है।यहाँ केवल ‘भगवान राम’ की मुद्रा चलती है और ब्याज के रूप में आत्मिक शांति मिलती है।
अन्य बातों के साथ साथ यहाँ की एक विशेषता यह भी है की यहाँ आपको भगवान के नाम का लोन भी मिल सकता है। यद्यपि लोन की अधिकतम सीमा पहले से ही निर्धारित है। अधिकतम आप १.२५ लाख का भगवन नाम का लोन ले सकते हैं। लोन लेने के बाद आपको इसे नियत समय सीमा में चुकाना होता है। १.२५ लाख का लोना आप ८ महीने १० दिन के भीतर चुका सकते हैं। इस अवधि में आपको मांस मदिरा लहसुन प्याज आदि वर्जित है। दूसरों के यहाँ खाना या बाहर का खाना भी वर्जित होता है।
लोन लेते समय आपको अपना नाम , उद्देश्य का उल्लेख करना होता है एवं शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं।
इस अवधि में यथासंभव पाप कर्म आदि से दूर रहे और सात्त्विकता का पालन करें तो अति उत्तम है। लोगों को असीम शांति प्राप्ति होती है और प्रभु कृपा का द्वार खुलता है। कई लोगों को आध्यात्मिक अनुभव भी होते है।
इसी प्रकार प्रयाग में भी एक भगवान नाम बैंक स्थापित है। जिसके सचालक श्री आशुतोष वार्ष्णेय हैं। इस अनूठे बैंक का प्रबंधन देखने वाले आशुतोष वार्ष्णेय के दादा ने २० वीं सदी की शुरुआत में संगठन की स्थापना की थी। आशुतोष अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। आशुतोष ने कुंभ मेले में भी अपना शिविर लगाते है। उनके दादा ईश्वर चंद्र ने जोकि एक कारोबारी थे, ने धर्म लाभ की आशा से इस राम नाम बैंक की स्थापना की थी।अब इस बैंक में विभिन्न आयु वर्गों और धर्मों के एक लाख से अधिक खाता धारक हैं।
यह बैंक एक सामाजिक संगठन ‘राम नाम सेवा संस्थान’ के तहत चलता है और कम से कम नौ कुंभ मेलों में इसे स्थापित किया जा चुका है।’ बैंक में कोई मौद्रिक लेनदेन नहीं होता। इसके सदस्यों के पास ३० पृष्ठीय एक पुस्तिका होती है | स्वयं आशुतोष जी इस पुस्तिका में १०८ कॉलम में प्रतिदिन १०८ बार ‘राम नाम’ लिखते हैं। वैसे लिखने वाले दिन भर में हज़ारों हजार नाम भी सहर्ष लिखते है| यह पुस्तिका सम्बंधित व्यक्ति के खाते में जमा की जाती है।
लाल स्याही से लिखा जाता है भगवान नाम
पुस्तिका में भगवान राम का नाम लाल स्याही से लिखा जाता है क्योंकि यह रंग प्रेम का प्रतीक है। बैंक की अध्यक्ष गुंजन वार्ष्णेय है।उनके कथानुसार , ‘खाताधारक के खाते में भगवान राम का दिव्य नाम जमा होता है। अन्य बैंकों की तरह पासबुक जारी की जाती है। ये सभी सेवाएं नि:शुल्क दी जाती है। इस बैंक में केवल भगवान राम के नाम की मुद्रा ही चलती है।’
राम नाम को ‘लिखिता जाप’ कहा जाता है। इसे लिखित ध्यान लगाना कहते हैं। स्वर्णिम अक्षरों को लिखने से अंतरात्मा के पूर्ण समर्पण और शांति का बोध होता है। सभी इन्द्रियां भगवान की सेवा में लिप्त हो जाती हैं।यहाँ केवल किसी एक धर्म के लोग ही नहीं बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग उर्दू, अंग्रेजी और बंगाली में भगवान राम का नाम लिखते हैं।
राम नाम बैंक का खाता ऑनलाइन(Online) और ऑफलाइन(Offline) दोनों तरीके से खोला जाता है। कागज पर राम नाम लिखने के साथ ही फोन, लैपटाॅप, कंप्यूटर पर गूगल प्ले के माध्यम से राम नाम लिखकर भी जमा एवं संचय होता है।
राम नाम बैंक के प्रबंधक ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय कहते हैं कि बैंक का मेन ब्रांच प्रयागराज सिविल लाइंस में है और इसका शिविर कार्यालय हर साल माघ मेला क्षेत्र में खोला जाता है।कुम्भ मेले के समय माघ मेला सेक्टर एक अक्षय वट मार्ग पर इनका शिविर लगता है।
राम नाम बैंक में खाता खोलने के नियम
- खाता खोलने के लिए पहले ३० पेज की खाताधारक को कॉपी दी जाती है। जिसमें लाल स्याही वाले पेन से राम नाम लिखना अनिवार्य होता है। एक पेज पर १०८ बार ९ के क्रम में राम नाम लिखना पड़ता है।
- राम नाम लिखने वाले को (ताम्रभोज) यानी लहसुन, कच्चा प्याज, मीट, मछली का सेवन नहीं करना है।
- इसके अलावा राम नाम बैंक में खाता खुलवाने वाले को झूठ नहीं बोलना होता है।
बैंक के खाता धारक देश ही नहीं, विदेशों में भी हैं।मनोकामना पूरी होने के लिए श्रद्धालु लेते हैं राम नाम का ऋणराम नाम बैंक में और बैंकों की तरह ऋण देने की भी सुविधा उपलब्ध है। ऋण लेने गए व्यक्ति को बैंक मनोकामना के हिसाब से राम नाम लिखा हुआ कॉपी लाल कपड़े में लपेट कर देते हैं उसके साथ सादी कॉपी भी दी जाती है, ताकि ऋण लेने वाला व्यक्ति वह घर पर जाकर पूजा पाठ करके रोज राम नाम का जप करें और जब मनोकामना पूरी हो जाए तो स्वयं हस्तलिखित राम नाम लिखी कॉपी बैंक को वापस कर दे।
राम नाम बैंक खाता खोलने वालों को इसका लाभ भी भी खूब मिलता है। लोगों के जीवन में निराशा और कष्ट का निवारण राम नाम बैंक में खाता खोलने से हुआ है। राम नाम लिखने का लाभ लोक के साथ परलोक में भी मिलता है।
इसके अलावा और कई संस्थाएं इस पावन कार्य में संलग्न है। कई वेबसाइइटें और एप्प भी है आजकल। अपनी सुविधा और श्रद्धा अनुरूप खाता खुलवाएं और अवश्य लाभ उठाएं|
जितना अधिक संभव हो राम नाम का लिखित जप करें।इसी में हम सब का कल्याण है।
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- Shodashopachar Pooja Procedure
- Shri Ram Chalisas by Sant Haridas & Sundardas
- Ramrakshastrot by Buhdkaushik Rishi
- Shri Ram Stuti done by Bhagwan Shiva
- Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Aarti
- Also All Hymns: Only Transliteration & Hindi-Roman Text (For distraction-free recitation during Pooja)
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