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भूत-प्रेत कितने प्रकार के होते हैं?

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भूत प्रेत की विभिन्न प्रकार संसार के भिन्न भिन्न भागों में पाए जाते हैं। बहुधा इनका व्यवहार और रूप इनकी मृत्यु के समय की परिथितियों और उस स्थान के भौगोलिक गुणों पर भी निर्भर करता है। हालाँकि यह यह सभी योनियां मानवीय इच्छाओं के अतृप्त रह जाने या उनमें विकृति के परिणाम स्वरुप अधिकतर भयावह स्वरुप ले लेती हैं और इनसे बचे रहना ही श्रेयस्कर है। फिर भी इनके प्रकार जान लेने से उनसे बचने में संभवतः सहायता हो सकती है।

इसी विचार से हम यहाँ पर भारत और उसके समीपवर्ती भौगोलिक खेत्रों में पाए जाने वाले इतर योनियों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। संसार के दूसरे भागों में कुछ यहॉ प्रजातियां अलग अलग नामों से जानी जा सकती हैं और बहुत सारी अन्य प्रजातियां भी हो सकती हैं।

भूत-प्रेत के 55 प्रकार का उल्लेख

यहाँ यह बता देना आवश्यक है कि केवल भूत प्रेत के केवल 55 प्रकार ही नहीं होते हैं वरन देश क्षेत्र के अनुसार कई जाने अनजाने इतर योनियां हो सकती हैं। यहाँ पर हम केवल 55 प्रकार के भूत प्रेतों की जानकारी इकट्ठी कर पाए हैं। यदि आप की जानकारी में कोई और प्रजातियां हों तो कमेंट में लिखें, हम उसे लेख में सम्मिलित करने का प्रयास करेंगे।

1.भूत

सामान्य भूत जिसके बारे में आप अक्सर सुनते है। ये ज्यादा इंसानों को परेसान नहीं करते जब इनकी इच्छा होती है तभी वो बहार आते है इनको अंडे ,तीखा और ज्वार की ठंडी रोटी पसंद है ।


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2.प्रेत

परिवार के सताए हुए बिना क्रियाकर्म के मरे हुए आदमी,जो पिडीत रहेते है।

3.हाडल

बिना नुक्सान पहुचाये प्रेतबाधित करने वाली आत्माए।

4.चेतकिन

चुडेले जो लोगो को प्रेतबाधित कर दुर्घटनाए करवाती है।

5.मुमिई

मुंबई के कुछ घरो में प्रचलित प्रेत,जो कभी कभी दिखाई देते है।

6.विरिकस

घने लाल कोहरे में छिपी और अजीबो-गरीब आवाजे निकलने वाला होता है।

7.मोहिनी या परेतिन

प्यार में धोका खाने वाली आत्माए जिनसे मनुष्यों को मदत मिल सकती है।

8.डाकिनी

मोहिनी और शाकिनी का मिला जुला रूप किन्ही कारणों से हुई मौत से बनी आत्मा होती है।अति भयंकर , निर्दय , स्मशान में मुर्दे और बच्चे को खाती है|

9.शाकिनी

अविवाहित लड़की जब मर जाती है तो वो शाकिनी बनती है या शादी के कुछ दिनों बाद दुर्घटना से मरने वाली औरत की आत्मा जो कम खतरनाक होती है।

10.कुट्टी चेतन

बच्चे की आत्मा जिस पर तांत्रिको का नियंत्रण होता है।

11.जखिन

बुद्दी ओरत बन के फिरती है उसके बल सफ़ेद और बंधे हुवे नहीं होते है जो कोई उसके साथ सम्बन्ध बनाता है वो उस इन्सान का कल्याण करती है इस लिए कोई कोई उसको ” बलवंत ” के नाम से भी जानता है जब ओरत गर्भवास्ता या रजस्वला में मरी हुई सौभाग्यवती स्त्री के भुत को जखीन कहा जाता है ।

12.लाल या लावसर

रजस्वला अवस्था में जिनकी मृत्यु हो जाती है उसको लाव कहते है । ये विधवा का भुत होता है । ये स्मशान में रहती है और पशु पक्षी को हेरान करती है मुर्दा उसका भोजन है।

13.सटवाई

सगर्भा ओरतो को परेसान करती है पैदा हुए बच्चो को पांचवे या छठे दिन मार देती है ।

14.सटवी

इसका हवा मे स्थायित्व होता है और ये हर जगह होती है,यह स्त्री की आत्मा होती है। किसी भी शरीर मे प्रवेश करके उसको उदास कर देती है।

15.हदल

स्वभाव में बोहोत ही ख़राब , दुष्ट ,सुन्दर रूप लेके इन्सान को फसाती है उनका शिकार ज्यादातर बच्चे होते है ,जिन ओरत को बच्चा होता है और वो दस दिन के अन्दर मर जाती है वो खिजदा के पेड़ ऊपर रहती है और रातको हरे रंग के कपडे पहन के शिकार करती है ।

16.जिन्न

अग्नि तत्वीय मुस्लिम धर्म से सम्बंधित आत्मा,बेहद शक्तिशाली,नियंत्रण मुश्किल परंतु मनाया जा सकता है।

17.खाविस

पाकिस्तान ,गुल्फ देशो और यूरोप में प्रचलित जिन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली आत्माए। लमान, मुस्लमान या म्हार लोगो के भुत को खाविस कहा जाता है वो १५ से १७ फिट ऊँचे होते है अविवाहित पुरुस मरने के बाद खाविस बनते है ये गुस्सेल होते है लेकिन खुस होने पर इन्सान को जो चाहेये वो देता है ये सफ़ेद रंग में होते है उनके पैर उलटे हो ते है वो जिनका चाहे रूप ले सकते है ।

18.शहीद

युद्ध अथवा दुर्घटना में मृत मुस्लिम बीर|अक्सर मजारें बनी मिलती हैं,शक्तिशाली आत्माएं जो पूजा पाकर और शक्तिशाली हो उठती हैं।

19.बीर

लड़ाकू अथवा उग्र ,साहसी व्यक्ति जिसकी दुर्घटना अथवा हत्या से मृत्यु हुई हो।

20.ब्रह्म & ब्रह्मराक्षस

ब्राह्मणों की आत्मा जो सात्विक और धार्मिक रहे हों अथवा जो साधक और पुजारी रहे हों किन्तु दुर्घनावश अथवा स्वयं जीवन समाप्त कर चुके हों,बेहद शक्तिशाली ,तांत्रिक नियंत्रित नहीं कर सकते,केवल मना कर या प्रार्थना कर ही शांत किया जा सकता है। जिस परिवार के पीछे पड़ जाएँ खानदान साफ़ हो जाता है ,कोई रोक नहीं सकता। पूजा देने पर ही शांत हो सकते हैं। रत को या दिन को एकदम वीराने में या पीपल के पेड़ निचे स्नान संध्या करते है किसीको परेसान नहीं करते अगर किसी ब्रह्मण का खून होता है तो वो ब्रह्मभूत बनता है।इनमे से दुष्ट स्वभाव वालों को ब्रह्मराक्षस भी कहते हैं।

21.ब्रह्मोदोइत्यास/ब्रह्मराक्षस

बंगाल में प्रचलित,श्रापित ब्राह्मणों की आत्माए,जिन्होने धर्म का पालन ना किया हो।

22.सकोंधोकतास

बंगाल में प्रचलित रेल दुर्घटना में मरे लोगो की सर कटी आत्माए होती है।

23.निशि

बंगाल में प्रचलित अँधेरे में रास्ता दिखाने वाली आत्माए।

24.किचचिन

बिहार में प्रचलित हवस की भूखी आत्माए।

25.पनडुब्बा

बिहार में प्रचलित नदी में डूबकर मरे लोगो की आत्माए।

26.बुरा डंगोरिया

आसाम में प्रचलित सफ़ेद कपडे और पगड़ी पहने घोड़े पर सवार होने वाली आत्माए।

27.बाक

आसाम में प्रचलित झीलों के पास घुमती हुई आत्माए।

28.घोडा पाक

आसाम में प्रचलित घोड़े के खुर जैसे पैर बाकी मनुष्य जैसे दिखाई देने वाली आत्माए।

29.बीरा

आसाम में प्रचलित परिवार को खो देने वाली आत्माए।

30.जोखिनी

आसाम में प्रचलित पुरुषो को मारने वाली आत्माए।

31.पुवाली भूत

आसाम में प्रचलित छोटे घर के सामनो को चुराने वाली आत्माए।

32.रक्सा

छतीसगढ़ मे प्रचलित कुँवारे मरने वालो की खतरनाक आत्माए।

33. मसान

छतीसगढ़ की प्रचलित पाँच छै सौ साल पुरानी प्रेत आत्मा नरबलि लेते हैँ , जिस घर मेँ निवास करेँ पुरे परिवार को धीरे धीरे मार डालते हैँ।

34.चटिया मटिया

छतीसगढ़ मेँ प्रचलित बौने भुत जो बचपन मेँ खत्म हो जाते हैँ वो बनते हैँ बच्चो को नुकसान नहीँ पहुँचाते। आँखे बल्ब की तरह हाथ पैर उल्टे काले रंग के मक्खी के स्पीड मेँ भागने वाले चोरी करने वाली आत्माए।

35.उदु

तलाब या नहर मेँ पाये जाने वाली आत्मा जो आदमियोँ को पुरा खा जाऐँ , छतीसगढ़ मेँ प्रचलित आत्माए।

36.गल्लारा

अकाल मरे लोगो की आत्मा धमाचौकडी मचाने वाली आत्मा छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है।

37.भंवेरी

नदी मेँ पायी जाने वाली आत्मा,जो पानी मेँ डुब कर मरते हैँ पानी मेँ भंवर उठाकर नाव या आदमी को डूबा देने वाली आत्मा छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है।

38.हंडा

धरती मेँ गडे खजानोँ मेँ जब जीव पड़ जाता हैँ याने प्रेत का कब्जा तो उसे हंडा परेत कहते हैँ , ये जिनके घर मेँ रहते हैँ वे हमेशा अमीर रहते हैँ , हंडा का अर्थ हैँ कुंभ , जिसके अंदर हीरे सोने आदि भरे रहते हैँ,जो लालच वश हंडा को चुराने का प्रयास करेँ उसे ये खा जाते हैँ , ये चलते भी हैँ,छतीसगढ़ मेँ प्रचलित है।

39.सरकट्टा

छत्तीसगढ़ में प्रचलित एक प्रेत जिसका सिर कटा होता है,बहुत ही खतरनाक होता है।

40.गरूवा परेत

बिमारी या ट्रेन से कटकर मरने वाले गांयो और बैलो की आत्मा जो कुछ समय के लिए सिर कटे रूप मेँ घुमते दिखतेँ हैँ नुकसान नही पहुचातेँ छतीसगढ मेँ प्रचलित है।

41.चकवा या भुलनभेर

रास्ता भटकाने वाली आत्मा महाराष्ट्र ,एमपी आदि मेँ पाया जाती हैँ।

42.बेताल/ बैताल

पीपल पेड़ मेँ निवास करते हैँ एकदम सफेद रंग वाले ,सबसे खतरनाक आत्माए। इसको भूतो का राजा माना जाता है इसको सिद्ध करने पर ही आता है वो किसी के सरीर से भुत निकालना हो या प्रेत ग्रस्त इन्सान को ठीक करना हो तो मदद करता है । सभी भुत इसकी बातो को मानते है इनके मंदिर भी होते है । ये मुर्दे में भी जान दाल सकते है । वेताल के दो रूप है एक रूद्र और एक जो आग लगाता है । ये नग्न रहते है ये उनकी निसानी है । तमिलनाडु में वेताल को अथ्य्नार , दुर्ग में मलदेव , तेलंगन में पेंक्तासु भी कहते हे ।

43.जोड़

मुसलमान , कोली , खारवा की आत्मा ओ को जोड़ कहा जाता है ये एक पेड़ पर एक पैर और दुसरे पेड़ पर दूसरा पैर रखकर खड़ा रहता है इसको गर्दन नहीं होती है जिस पैड पर ये रहते है उसके निचे से जाने पर इन्सान बीमार पड़ जाता है ।

44.गिरहा

पानी डूबकर या पानी के अन्दर जिनका खून होता है वो गिरहा बनते है वो पानी में ही रहते है रात को अकेले जा रहे इंसान को आवाज लगा कर बुलाता है रात को नाव लेके जा रहे नाविकों को आवाज दे कर बुलाता है और गहरे पानी में लेजाकर डूबा देता है वो ज्यादा शक्ति साली नहीं होते अगर कोई उनके सर का एक बाल तोड़ ले तो वो उसके गुलाम बन जाते है ।

45.मुंजा

ब्रहमचारी युवा ,रूपवान ब्रहामन या ब्रहमचारी की मृत्यु होती है तो वो मुंजा बनता है ये पीपल के पेड़ पर रहता है और आने जाने वालो को परेसान करता है उसके कमर पर घंटिया होती है उसको बजाकर वो सबको परेसान करता है ।

46.देवचार

विवाहित शुद्ध मृत्यु के बाद जिसका अग्निसंस्कार ठीक से नहीं किया जाता वो देवचार बनता है गाव के सभी भुत उसके आधीन रहते है मुर्गी या बकरी की बलि उसको पसंद है और ये पुरे गाव की रक्षा करता है ।

47.पितृ

ये भुत छोटे होते है और जुंड में रहते है तांत्रिक उनको बस रखते है और ये परेसान ज्यादा करते है ।

48.वीर

अतिसय सुरवीर ,शक्तिशाली सभी भूतो के मालिक होते है दिन रात घूमते है किसीका भी रूप ले सकते है । डरते है किसके भी सरीर में जा सकते है, आग पैदा कर सकते है, दिया जला सकते है । अमावस्या के दिन ये ज्यादा दिक्ते है । इन्सान को पकड़ के उनके सरीर में जा कर उनकी इच्छा को मनवाते है । इनको पहचानना बहुत ही कठिन है । वो वायु रूप होते है इस लिए उनको पकड़ना यानि अपनी मृत्यु को बुलाना होता है ।

49.आशेव

नाक से बोलता है अति भयंकर प्रकार का पिशाच है। अर्थात बोली ऐसी लगेगी जैसे नाक से आ रही हो। इनके नाम से बोलने का कारण इन्हे पहचानना आसान होता है। यह नाक से बोले जाने पर अधिक आकर्षित होते हैं। यदि याद हो तो कई साल पहले ‘झलक दिखला जा।। ‘ के गाने को भूतो को आकर्षित करने वाला माना गया था। ये गुजरात की घटना है।

50.चुड़ैल

उत्तरी भारत में प्रचलित राहगीरों को मारकर बरगद के पेड़ पर लटकाने वाली आत्माए।यह स्त्री जाति की भूत होती है और सुन्दर रूप धारण कर सकती है। हालाँकि यह अपने पैरों को नहीं बदल पाती। इनके पैर उल्टे होते हैं। सुनसान रास्ते पर अगर रात को कोई स्त्री लिफ्ट मांगे तो उसके पैर अवश्य देख लें। यदि पैर सीधे भी हो तो सीधे घर आएं नहीं तो घरवाली के चुड़ैल रूप का सामना करना पड़ेगा D:)

51.कल्लुर्टी

कर्नाटक में प्रचलित आधुनिक रीती रिवाजो से मरे लोगो की आत्माए।

52.कोल्ली देवा

कर्नाटक में प्रचलित जंगलो में हाथो में टोर्च लिए घुमती आत्माए।

53.हमजाद

इंसानों के साथ रह सकता है उन्ही का रूप भी ले लेता है, इसलिए इसे पहचानना मुश्किल है। इनको खिला पिला कर वश में किया जा सकता है ।

54.गोल बियावानी

हाथ में मशाल ले के साथ जंगलो में घूमता है। राजस्थान का खानवां गांव, जहाँ मुग़ल बाबर और चित्तौड़ के वीर राजपूत राजा राणा सांगा के बीच मार्च १५२७ में पहला युद्ध हुआ था, उसमें वहां मुग़ल सैनिकों को बहुत बुरी तरह से काटा गया था। ये उन्ही मारे गए मुघलो की आत्माये देखी गयी हैं।

55.दरया

आकार में अति प्रचंड होते है उसके सर पर सिंग होते है उनके पंजे भी बोहोत बड़े होते है

और भी इस प्रकार के बोहोत से भुत पिचासो का वर्णन है जिनको हम नाल्खाम्भा ,जिद , पिलर , डाकिनी , कुस्थामंदा , मंत्री , भूचर , खेचर , जलाई , जोगनी , गावती ,मधुपर्वानी , मस्ख्वानी , और नाधोबा कहते हे

Video Link: प्रेत कितने प्रकार के होते ?

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