भूत प्रेतों का नृत्य ‘डगेली’
भाद्र महीने के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी और चतुर्दशी को हिमाचल में “डगेली” और जम्मू-कश्मीर में “दम्हास” कहा जाता है। भाद्रपद की इस अमावस्या को “अघोरा चतुर्दशी” भी कहा जाता है।
ऐसा जहां के लोगों का मानना है की इन दो दिनों में लोग घरों से बाहर नही निकलना चाहिए क्यूकी ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव के गन और भूत प्रेतों का प्रभाव अधिक होता है।
लोग घरों में सरसों के दाने रखते हैं, कांटे लगाते हैं और कुछ पेड़ों के पत्ते घरों में लगते हैं जैसे के एक पेड़ को कहा जाता है “बन्ना”, देवी देवताओं के मंदिर इस दिन खुले रखे जाते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है की इस दिन सनान करने से सारे किए हुए बुरे कर्म माफ हो जाते है इसलिए माना जाता है डायन चुड़ैल इस दिन “वासुकी कुंड”( भद्रवाह) जाती है सनान करने के लिए।
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पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से भी राहत मिलती है और आपके पूर्वज भी आपसे प्रसन्न हो जाते है।
डगेली का नाच हम आम इंसान नही देख सकते लेकिन लोगों के दिल्लो में इसका डर आज भी है भले जी आज कल लोग इन बातों को मानना बंद कर बैठे है और जो नही जानता इस बारे में वो तो बस इसको अंध विश्वास कहके नकार देगा।
सच क्या हैं इसका तो नही पता पर सदियों से एक मान्यता को लोग मानते है इसका कोई कारण तो अवश्य होगा।