इन्हें राव सुल्तान सिंह हाड़ा के नाम से भी जाना जाता है
भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप धारावाहिक में बूंदी के राव सुरतन सिंह हाड़ा को बेहद खराब तरह से दर्शाया गया था। अब जानते हैं वास्तविकता….
1554 ई. में राव सुरतन ने किसी कुसूर पर नाराज़ होकर अपने सामंत सहसमल हाड़ा व सांतल की आँखें फुड़वा दीं
इस कुकृत्य की ख़बर जब मेवाड़ नरेश को लगी, तो महाराणा उदयसिंह जी ने फ़ौरन राव सुरतन हाड़ा को बूंदी की राजगद्दी से खारिज कर राव सुर्जन हाड़ा को बूंदी का राज दिलाया
राव सुर्जन हाड़ा वीर अर्जुन हाडा (चित्तौड़ के दूसरे साके में वीरगति पाने वाले) के पुत्र थे
सगारथ झल्लन के हित सोध,
बढ्यो मरुमाल महीप विरोध |
पदच्युत बुन्दियतें सुल्तान,
दियो नृप सुर्जन को वह थान ||
कुछ वर्षों बाद राव सुरतन हाड़ा मेवाड़ आए और अपनी पुत्री शाहमति बाई हाड़ा का विवाह कुँवर प्रताप से करवाकर महाराणा उदयसिंह जी से अपने अपराधों की क्षमा मांगी, पर ऐसा करने के बाद भी उन्हें बूंदी का राज नहीं मिला
इन्हीं रानी शाहमति बाई हाड़ा से महाराणा प्रताप के पुत्र पुरणमल हुए, जिनके वंशज पुरावत कहलाते हैं
पोस्ट लेखक :- तनवीर सिंह सारंगदेवोत (लक्ष्मणपुरा – मेवाड़)
बूंदी के गौरवशाली इतिहास को जाने बगैर मात्र एक धारावाहिक की कल्पना के चलते इतिहास का मजाक न बनाएं…
जय एकलिंग जी
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