हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम|Hariye Na Himmat Bisariye Na Ram
इस संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य न हुआ होगा जिसके ऊपर सम्पूर्ण जीवनकाल में विपत्ति न आई हो। विपत्ति के समय मनुष्य अधीर हो जाता है और स्वयं को निरीह समझ लेता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। हमारे महापुरुषों ने बताया है कि विपत्ति के समय मनुष्य को धैर्य नहीं खोना चाहिए यही समय अपने धैर्य की परीक्षा का होता है।
जो विपत्ति में धैर्य धारण करके विपत्ति का सामना करता है वह पहले की अपेक्षा और मजबूत होकर समाज में स्थापित होता है। और जो में टूट जाता है वह फिर जीवन भर में नही सम्हल पाता। अत: बड़ी से बड़ी विपत्ति में मनुष्य को दो कार्य अवश्य करना चाहिए।
१- साहस , २- भगवन का आश्रय। जिसने इन दोनों का सहारा नहीं छोड़ा वह प्रत्येक विपत्ति के बाद और भी मजबूत होता है। शायद इसीलिए कहा गया है :– हारिये न हिम्मत , बिसारिये न राम (Hariye na himmat bisariye na Ram)।
हारिये न हिम्मत , बिसारिये न राम
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Hariye na himmat bisariye na Ram
अर्थ : कभी भी साहस मत छोड़िये और कभी भी श्री राम को भूलिए नहीं।
Meaning: Never Loose courage, Never forget Ram!