श्री ज्वाला माता जी की आरती
ज्योति सभी बुझाने अकबर आया था |
क्षमा मांगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था ||
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ज्योति सभी बुझाने अकबर आया था |
क्षमा मांगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था ||
रोगों से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल कायाअन्ध नेत्र पाता॥
ॐ जय शीतला माता…।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥