श्री शैलपुत्री माता की आरती|शैलपुत्री माँ बैल असवार
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
नवदुर्गा आरती संग्रह | नवरात्रि आरती दिवस १
आरती शैलपुत्री माँ बैल असवार के बोल-लिरिक्स
शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥
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सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
।।इति श्री शैलपुत्री माता जी आरती समाप्त।।
यह आरती नवरात्रि के पहले दिन पर माता शैलपुत्री की पूजा में गायी जाती है। माता शैलपुत्री पवित्र हिमालय पर्वत की पुत्री हैं। पर्वत को शैल भी कहते हैं इसलिए माता पार्वती का शैलपुत्री नाम विख्यात हुआ। माता पार्वती ही पिछले जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं और अगले जन्म में भगवान् शिव को पुनः प्राप्त करने के लिए उन्होंने माता पार्वती के रूप में जन्म लिया।
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