उड़ीसा का झुका हुआ हुमा शिव मंदिर
भगवान भोलेनाथ का मंदिर सिर्फ काशी में ही करवट (एक तरफ झुका हुआ) नहीं है बल्कि भारत में एक और ऐसी भी जगह है जहां पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर झुका हुआ है। जिसमे एक उत्तर प्रदेश के काशी यानि वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित रत्नेश्वर महादेव का मंदिर और दूसरा उड़ीसा के संभलपुर में महानदी के तट पर निर्मित है। जो अब तक रहस्य बना हुआ है. आखिर यह मंदिर कैसे झुके? और आज तक के ऐसे कैसे ठहरे हुए हैं? यह अपने आप में एक अजूबा है। दोनों ही मंदिरों के निर्माण के पीछे अलग-अलग कहावते वजहों को बताया गया है। पिछले पोस्ट में हमने कशी के रत्नेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जाना अब आइये जानते हैं हुमा शिव मंदिर के बारे में …
हुमा शिव मंदिर
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हुमा का झुका मंदिर उड़ीसा के संबलपुर से लगभग 23 किमी दूर दक्षिण में स्थित महानदी के तट पर हुमा के विचित्र गांव में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
लोक कथाएं और मान्यताएं
स्थानीय लोगों के अनुसार एक दूधवाला हर दिन महानदी नदी को पार किया करता था। प्रत्येक चक्कर के बाद, दूधवाला भगवान शिव का पूजन करता और फिर उसके बाद दूध चढ़ाता, जो वहां स्थित चट्टान पी जाती थी। यह बात जल्द ही फैल गई और गंगा वामसी के सम्राट अनंगभीम देव- तृतीय ने इस मंदिर का निर्माण कराना शुरू कर दिया। मंदिर अनेक शासकों के शासनकाल में पुनर्निर्मित किया गया। लेकिन मंदिर क्यों झुका हुआ है, यह रहस्य ही बना रहा। मंदिर परिसर में तीन मंदिर हैं और तीनों अलग-अलग दिशाओं में झुके हुए हैं।


स्थानीय लोगों के मुताबिक जब इस स्थान पर यह मंदिर नहीं था। तब यहां प्रत्येक दिन एक गाय आकर अपने ही दूध से पत्थर पर अभिषेक किया करती थी। जब इस बात का पता गाय के मालिक को चला तो वह रोजाना यहां आकर पूजा करने लगा ।उसको पूजा करते देख उस समय के राजा बलराम देव ने उस स्थान पर एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया । इसके बाद संभलपुर के चौहान वंश के राजा बलियार सिंह देव ने सन 1687 में मंदिर का पुनः निर्माण करवाया।

