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Why 108 Number Is So Important In Hinduism | १०८ संख्या का क्या महत्त्व है

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हिन्दू धर्म में हम मंत्र जप के लिए जिस माला का उपयोग करते है, उस माला में दानों की संख्या 108 होती है। शास्त्रों में इस संख्या 1O8 का अत्यधिक महत्व होता है । माला में 1O8 ही दाने क्यों होते हैं, इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतषिक  और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं। आइए हम यहां जानते है ऐसी ही चार मान्यताओ के बारे में तथा साथ ही जानेंगे आखिर क्यों करना चाहिए मन्त्र जाप के लिए माला का प्रयोग।

In Hinduism, the number of beads in the rosary used for mantra reciting is 108. The number 1O8 is significant in the Hindu Scriptures. There are numerous religious, astrological, and scientific explanations for why a rosary contains only 1O8 beads. Let us look at the beliefs and why a rosary should be utilized for mantra recitation,

सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक होता है माला का एक-एक दाना

एक मान्यता के अनुसार माला के 1O8 दाने और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 1O8OOO बार कलाएं बदलता है।

A deep relationship is thought to exist between the 1O8 beads of the rosary and the phases of the Sun. The Sun goes through 216000 phases per year and changes position twice a year. Uttarayan lasts six months, whereas Dakshinayan lasts six months. As a result, the Sun’s position changes 1O8OOO times in six months.


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इसी संख्या 1O8OOO से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 1O8 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, समाज में मान-सम्मान दिलवाता है। सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या 1O8 निर्धारित की गई है।

The number 1O8OOO was obtained by subtracting the final three zeros from the number 1O8OOO. Each bead on the rosary represents a different phase of the Sun. The sun only makes a person shine and offers them respect in society. Surya is the only visible deity, which is why the number of grains has been set at 1O8 based on the Sun’s phases.

1 दिन में कितने श्वास : Based on Number of Breaths in a Day

माला में 1O8 दाने रहते हैं। इस संबंध में शास्त्रों में दिया गया है कि…

षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्राण्येकं विशांति।
एतत् संख्यान्तितं मंत्रं जीवो जपति सर्वदा।।

इस श्लोक के अनुसार एक पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, उसी से माला के दानों की संख्या 1O8 का संबंध है।

 सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति करीब 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति सांस लेता है 10800 बार।

We breathe around 21600 times in 24 hours of a day. Out of this 12 Hours we are supposed to be active while 12 hours are for rest and sleep. Now in these 12 hours person breaths approximately 10800 times. Here also the reaction of 1O8 is evident with human breathing cycle, which is the base of life.

इसी समय में देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 1O8OO बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए 1O8OO बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 1O8 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 1O8 दाने होते हैं।

108 के लिए ज्योतिष की मान्यता

12 राशियाँ 9 ग्रह : 12 Zodiacs and 9 Planets

ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 1O8 प्राप्त हो जाती है।

माला के दानों की संख्या 1O8 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है।

Sun and other planets together through 12 zodiacs in a year. So these 9 solar bodies called Navgrah in astrology actually have different 12 placements during this process. Now if we multiply 12×9 then also number is 108. This means 1O8 kinds of primary astrological effect on the native in an year.

27 नक्षत्र के 4 चरण : 27 Constellations with 4 Stages each

एक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने में माला में 1O8 दाने रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 1O8 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

Again our visible sky is divided in 27 27 Constellations with each having 4 Stages of their own . Here also we see that 27×4=108. This is also shows 1O8 types of effect on the native through the constellations as per astrology.

किसे कहते हैं सुमेरू

माला के दानों से मालूम हो जाता है कि मंत्र जप की कितनी संख्या हो गई है। जप की माला में सबसे ऊपर एक बड़ा दाना होता है जो कि सुमेरू कहलाता है। सुमेरू से ही जप की संख्या प्रारंभ होती है और यहीं पर खत्म भी। जब जप का एक चक्र पूर्ण होकर सुमेरू दाने तक पहुंच जाता है तब माला को पलटा लिया जाता है। सुमेरू को लांघना नहीं चाहिए। जब भी मंत्र जप पूर्ण करें तो सुमेरू को माथे पर लगाकर नमन करना चाहिए। इससे जप का पूर्ण फल प्राप्त होता है*

While doing Japa there are 108 beads and 109th is on the edge and protruded out. This is called ‘Sumeru’. Do not cross this during Japa chanting. Once yo real here, you can turn the rosary and return in opposite direction. After the end of Japa , touch this Sumeru with your forehead. This act is considered to mark the conclusion of japa process.

Some planetary coincidence as well

  • Radius of Sun: 695,700 Kms
  • Radius of Earth: 6,371 km
  • Radius of Moon :1,737.1 km / Diameter of moon= 3,475 Km
  • Distance from Earth to Moon: 384,400 km
  • Distance from Earth to Sun : 151890000   km

Ratio or Sun Radius to Earth: 695,700/ 6,371 = 109.19 ; Which is roughly 1O8 times.

Sun represents the Soul and Body is made from Earth. Its a journey from body to Soul. Thus number of 1O8 is very symbolic and powerful in our Sanatan Dharma culture.

Ratio of Earth distance to moon to Diameter of moon= 384400/ 3475= 110.61 which is again very close to 1O8.

Please note that moon is moving away from earth at the rate of  3.78cm (1.48in) per year. Which would have increased its distance from Earth since the time of Puranas. So when these rules were set this 1O8 would have been the actual figure for the above mentioned calculations.

Our Ancestors knew many more things much ahead of the rest of the world.

108 Kundalini Chakras

Also although there are 7 (6 Shatchakras -Mooldhara, Swadhishthan, Manipuraka, Anahata, Vishuddha, Agya, & 7th Sahasrara) main chakras but if we go deeper the Yogis and Tantra Sadhakas say there are 1O8 to 114 Chakras in our body out of which only the 7 are known to common folks like us as of now. So when you do Japa on 1O8 Mala, each chant of mantra works on these 1O8 chakras individually. That is why your chant has to be continuous while japa.

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