दीप-प्रज्ज्वलन कर कोरोना वायरस को भस्म करने का दिन- 5April 2020 , 9PM
दीप-प्रज्ज्वलन कर कोरोना वायरस को भस्म करने का दिन
धर्मशास्त्र क्या कहता है ?
मिर्जापुर । भारतीय ऋषियों ने सभी अनुष्ठानों में सर्वप्रथम सविधि दीप जलाने का विधान किया है । ऋषियों का कहना है कि दीप जलते ही इष्टदेव से अनुष्ठानकर्ता का वैसे ही संबन्ध जुड़ता है जैसे जड़ शरीर में आत्मा रूपी ऊर्जा के रहते ही मनुष्य का अस्तित्व रहता है और यही ऊर्जा निकल जाने पर शरीर निष्प्रयोज्य हो जाता है ।
प्रत्यक्ष देवता सूर्य और दीपक का संबन्ध
ऋषियों ने प्रत्यक्ष देवता के रूप में सूर्य को स्थान दिया है । सूर्य ही पुरुष हैं और शेष जगत प्रकृति है । पूरे जगत को जीवन सूर्य देते हैं । ऊर्जा के भंडार हैं सूर्य तो दीपक उनका अंश है ।
दीपक की प्रथम पूजा
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शुभ कर्मों में सर्वप्रथम दीपक की निम्नांकित श्लोक से दीपक की पूजा की जाती है ।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्य- धनसंपदाम्। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:। दीपो हरतु मे पापं संध्यान् दीप नमोऽस्तु ते।।
इस श्लोक में शत्रु की बुद्धि नष्ट करने तथा शुभ की कामना की गई है ।
5 अप्रैल को रात 9 बजे दीपक पर धर्माचार्य क्या कहते हैं ।
गोवा प्रांत के नीलकंठेश्वर तथा यहां के लोकेश्वर महादेव (श्री शिवराज आश्रम, बरकछा) के महात्मा स्वामी राजचैतन्य बड़े दावे के साथ कहते है कि संकमण काल में दीप जलाने से हानि-कारक विषाणु जलकर भस्म होते हैं । स्वामी राजचैतन्य का मानना है कि दीवाली और होली का अवसर ऋतु परिवर्तन का होता है । इसमें विपरीत विषाणु एक्टिव होते हैं । इसलिए दीवाली पर दीपक तथा होली पर होलिका जलाने का विधान था। लेकिन पश्चिमी सभ्यता ने हमारी परम्पराओं को नष्ट कर दिया । अब चाइनीज झालर जलते हैं और होलिका के नाम पर फर्ज अदायगी की जाती है ।
मीठे तेल का दीप जलाएं ।
स्वामी राजचैतन्य पीएम के दीप-प्रज्ज्वलन की अपील को वर्तमान समस्या का समाधान बताते हैं और कहते हैं कि शुद्ध देशी घी का दीपक श्रेष्ठ है । यदि घी न हो तो तीसी, तिल, मूंगफली, सूरजमुखी के तेल का भी दीप जलाया जा सकता है । सरसो का तेल नहीं जलाएं ।
दीप कैसे जलाएं
शास्त्रों में उर्ध्वमुखी दीप श्रेष्ठ कहा गया है। प्रायः मंदिरों में यही दीप जलता है लेकिन घरों में लम्बी दो बाती का (एक नहीं) का दीप जलाया जा सकता है । चतुर्मुखी दीप भी जलाया जा सकता है ।
दीप जमीन पर न रखें
धर्मशास्त्रों में दीपक को अक्षत पर ही रखकर चारो ओर जल अर्पित करने का विधान है । प्रायः लोग जमीन पर रख देते हैं। कर्पूर भी दीपक में ही जलाना चाहिए । मंदिरों में हरे पत्ते पर या ड्योढ़ी पर लोग प्रायः जलाते हैं जो दोषपूर्ण है ।
5 अप्रैल और ज्योतिषीय दृष्टि
ज्योतिषाचार्य पं जगदीश द्विवेदी की दृष्टि में 5 अप्रैल को सर्वसिद्धा प्रदोष तिथि है । इस दिन 9:03 तक लग्न में तुला राशि है और उसका स्वामी शुक्र तथा वृष अपने ही घर (अष्टमेश) में बैठा है जो कोरोना के हनन के लिए उपयुक्त है। ये दोनों स्वगृही हैं इसलिए दीप प्रज्ज्वलन से विषाणुओं का नाश होगा । शुक्र आयु बढ़ाने की स्थिति में हैं । इसलिए 5 अप्रैल को हर हालत में 9 बजे तक दीप जला देना चाहिए । बाती सफेद ही होना चाहिए क्योंकि शुक्र को सफेद रंग ज्यादा पसंद है।
हाई माई आश्रम का संदेश
स्वामी अड़गड़ानन्द जी के संरक्षण में चलने वाले उक्त आश्रम के स्वामी द्वारिका बाबा भी भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने पर दीप प्रज्ज्वलन को जोड़ते हुए कहते हैं कि श्रीराम भी शत्रु वध करने लंका गए थे । लिहाजा दीपक शत्रु वध के लिए आवश्यक है।
तेज से शत्रु कांपते हैं ।
धर्मग्रन्थों में सत्यवान और सावित्री की कथा का उल्लेख है । सावित्री के तेज से यमदूतों की हिम्मत नहीं पड़ी और वे खाली हाथ लौट गए । यमराज जब खुद आए तो सावित्री ने अपने तेज से यमराज को परास्त कर सत्यवान को बचा लिया । स्वामी राजचैतन्य के अनुसार मार्कण्डे ऋषि को भी मारने दैत्य आए थे लेकिन उनके तेज के प्रकाश से भाग खड़े हुए। यानी जहां प्रकाश है वहां चोर-लुटेरे और कातिल ठहर नहीं पाते ।
विंध्यधाम की भी पुकार
विंध्यधाम से भी यही आवाज उठ रही है कि दीप जलाकर विषाणुओं का मुकाबला किया जाए । नगर विधायक श्री रत्नाकर मिश्र ने जहां पीएम की अपील को सार्थक करने के लिए आह्वान किया है वहीं विंध्य पंडा समाज के पूर्व अध्यक्ष श्री राजन पाठक ने आराध्या मां विन्ध्यवासिनी का ध्यान कर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना के लिए कहा है। पूर्व कोषाध्यक्ष श्री गौतम द्विवेदी ने वायुमंडल की शुध्दता के लिए दीप प्रज्ज्वलन पर जोर दिया है।
-सलिल पांडेय, मिर्जापुर