June 5, 2023
0
(0)

श्री नाकोडा भैरव चालीसा

॥दोहा॥

पाश्वर्नाथ भगवान की, मूरत चित बसाए ॥
भैरव चालीसा लखू, गाता मन हरसाए ॥

॥चौपाई॥

नाकोडा भैरव सुखकारी, गुण गाये ये दुनिया सारी ॥
भैरव की महिमा अति भारी, भैरव नाम जपे नर – नारी ॥

जिनवर के हैं आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते समकित धारी ॥
प्रातः उठ जो भैरव ध्याता, ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥

Dibhu.com-Divya Bhuvan is committed for quality content on Hindutva and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀


भैरव नाम जपे जो कोई, उस घर में निज मंगल होई ॥
नाकोडा लाखों नर आवे, श्रद्धा से परसाद चढावे ॥

भैरव – भैरव आन पुकारे, भक्तों के सब कष्ट निवारे ॥
भैरव दर्शन शक्ति – शाली, दर से कोई न जावे खाली ॥

जो नर नित उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे ॥
डाकण छूमंतर हो जावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे ॥

मारवाड की दिव्य मणि हैं, हम सब के तो आप धणी हैं ॥
कल्पतरु है परतिख भैरव, इच्छित देता सबको भैरव ॥

आधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भैरव शान्ति पावे ॥
बाहर परदेशे जावे नर, नाम मंत्र भैरव का लेकर ॥

चोघडिया दूषण मिट जावे, काल राहु सब नाठा जावे ॥
परदेशा में नाम कमावे, धन बोरा में भरकर लावे ॥

तन में साता मन में साता, जो भैरव को नित्य मनाता ॥
मोटा डूंगर रा रहवासी, अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी ॥

जो नर भक्ति से गुण गासी, पावें नव रत्नों की राशि ॥
श्रद्धा से जो शीष झुकावे, भैरव अमृत रस बरसावे ॥

मिल जुल सब नर फेरे माला, दौड्या आवे बादल – काला ॥
वर्षा री झडिया बरसावे, धरती माँ री प्यास बुझावे ॥

अन्न – संपदा भर भर पावे, चारों ओर सुकाल बनावे ॥
भैरव है सच्चा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला ॥

देश – देश में भैरव गाजे, खूटँ – खूटँ में डंका बाजे ॥
हो नहीं अपना जिनके कोई, भैरव सहायक उनके होई ॥

नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे, भैरव झट – पट दौडे आवे ॥
भूख्या नर की भूख मिटावे, प्यासे नर को नीर पिलावे ॥

इधर – उधर अब नहीं भटकना, भैरव के नित पाँव पकडना ॥
इच्छित संपदा आप मिलेगी, सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी ॥

भैरव गण खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा ॥
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म – हाजिरी सदा बजाते ॥

ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव ॥
नैन मूँद धुन रात लगावे, सपने में वो दर्शन पावे ॥

प्रश्नों के उत्तर झट मिलते, रस्ते के संकट सब मिटते ॥
नाकोडा भैरव नित ध्यावो, संकट मेटो मंगल पावो ॥

भैरव जपन्ता मालम – माला, बुझ जाती दुःखों की ज्वाला ॥
नित उठे जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे ॥

॥दोहा॥

भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार ।
कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥

जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय ।
भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥

॥ श्री भैरवाय शरणम् ॥

1.चालीसा संग्रह -९०+ चालीसायें
2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!