गाँव के जीवन की कुछ अनूठी बातें
ठेठ ग्रामीण जीवन से गहराई से जुड़े हुए लोग ही इन बातों को समझेंगे
कुछ समय पहले , ज्यादा नहीं बस ३० -४० साल पहले तक एक पीढ़ी होती थी, जो गाँव और शहर दोनों का जीवन सम्पूर्णता से जीती थी। । आज कल तो गाँव में भी मोबाइल , टीवी , इंटरनेट , यूट्यूब , व्हाट्सअप के दायरे में आ गया है और ख़ास गाँव के लोग भी ठेठ देशी गाँव की संस्कृति को भूलने लगे हैं और पुरानी बातों को पिछड़ा समझने लगे हैं। लेकिन तब जब गाँव में टेलीफोन भी नहीं हुआ करते थे और रेडियो ही बाहरी जगत से समाचार सूचना का माध्यम हुआ करता था । हम लोगों के पास गर्मियों की छुट्टी में करने के लिए घर से बहार बहुत कुछ होता था ।
शहर , में चाहे कहीं भी रहे ‘घर’ अपने गाँव वाले घर को ही बोलते थे। । जन्म गाँव में होने की वजह से गाँव की अनूठी बोली से बहुत साड़ी अनूठी उक्तिया और कहावतें बन जाती थी , जिनका अनुवाद करना काफी कठिन है । अनुवाद में सार कभी कभी खो भी जाता है ।इसलिए इन अनूठी बातों को ठीक उसी भाषा में यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं ।
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यदि आपनें –
- बखरी की कोठरी के ताखा में जलती ढेबरी देखी है,
- दलान को समझा है,
- ओसारा जानते हैं, !
- दुवारे पर कचहरी देखे हैं,
- राम राम के बेरा दूसरे के दुवारे पहुंच के चाय पानी किये हैं,
- दतुअन करनें से पहले मुंह जुठारे हैं,
- दिन में दाल-भात-तरकारी जरूर खाये हैं,
- संझा माई की किरिया का मतलब समझते हैं,
- बरम बाबा का अस्थान आपको मालूम है,
- डीह बाबा के अस्थान पर गोड़ लागे हैं,
- बसुला समझते हैं,
- खंती जानते हैं,
- कुदार चलाये हैं,
- सतमेरवन समझते हैं,
- जुरजोधना का असली नाम दुर्योधन जानते हैं,
- बारी बगइचा की जिंदगी जिये हैं,
- चिलचिलाती धुप के साथ लु के थपेड़ों में बारी बगइचा में ओल्हवा-पताल खेले है,
- पोखरा-गड़ही किनारे बैठकर लंठई किये हैं,
- पोखरा-गड़ही किनारे खेत में बैठकर ५-१० यारो की टोली के साथ मैदान हुए है,
- गोहूं, रहर, ऊख का मजा लिये हैं,
- अगर आपने बचपन में बकइयां घींचा है ,
- अगर आपने गाय को पगुरियाते हुए देखा है,
- अगर आपने बचपने में आइस-बाइस खेला है,
- अगर आपने जानवर को लेहना खियाया है ,
- अगर आपने बरधा और भईस के लिए चरी काटी है, और काॅटा मारा है,
- अगर आपने खेत में पानी बराया है,
- अगर आपने दौरी हांकी है,
- अगर आपने कॅटिया से मछरी मारी है,
- अगर आपने गढ़ई में सनई धोई है,
- अगर आपने ओक्का बोक्का तीन तड़ोक्का नामक खेल खेला है ,
- अगर आपने घर लेवरते हुए देखा है,
- अगर आपने ओसावन करते देखा है,
- अगर आपने गुर सातू, होरहा कचरस और ऊख चीभने के अलावा कुदारी से खेत का कोन कोड़ा है,
- अगर आपने पोतनहर से चूल्हा पोतते हुए देखा है,
- अगर आपने कउड़ा तापा है,
- अगर आप ने दीवाली में दलिद्दर खेद के गोधन की कूटाई भी देखी है |
तो समझिये की आपने गजब की जिंदगी जी हैं और आप अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझिए, क्योंकि आज उपरोक्त लिखित बातें बिलुप्त हो रही है