June 2, 2023

अज्ञानतारूपी अंधकार के प्रकार

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अज्ञानतारूपी अंधकार के प्रकार

हृदय में जो अज्ञानता का अंधकार है वो दूर करके परमात्मा से सायुज्यता प्राप्त करना ही, मानव जीवन की सबसे बड़ा लालसा है| इसमे ही जीवन की संपूर्णता है|

ये अंधकार भी दो प्रकार का होता है | जैसे एक अनादिकाल से हृदय मेंउपस्थित दिशाहीनता का अंधकार, जो गुरुरूपी सूर्योदय होने पर अपने आप दूर हो जाता है| द्वितीय प्रकार का अंधकार वो है जो आकाश के मेघाच्छन्न होने पर होता है| यह देहाध्यास का अंधकार है|

चित्ताकाश में छाए इन दो प्रकार के अंधेरो की वजह से मानव अपना ज्ञान पथ खोजने में असमर्थ रहता है| ये जो रात्रि का अंधकार है, अनादि कालीन है वो गुर कृपा से दूर हो जाता है| लेकिन सदगुरु के मिल जाने पर भी ये जो इस देहबोध से ग्रसित मेघ जन्य अंधकार है वो अपने ही कर्मों से हटता है| इसलिए योग ,प्राणायाम, ध्यान , सत्कर्म आदि करने आवश्यक है| अन्यथा गुरु का प्रकाश भी आआपको सही रास्ते पर नही ले जा सकता|

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इसे ऐसे भी समझ सकते हैं की ईश्वर तो कृपा बरसा रहे हैं लेकिन जब अपना कर्म और चित्त रूपी पात्र ही अगर ईश्वर के अमृत को ग्रहण ना कर पाए तो दोष किसका है| अतः गुरु और ईष्ट कृपा के बाद भी अपना कर्म करना अति आवश्यक है|

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