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डा. आंबेडकर के साथ भेदभाव और अन्याय आखिर किसने और कब किया था ?

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डा. आंबेडकर के साथ भेदभाव और अन्याय आखिर किसने और कब किया था ?

डा| आंबेडकर के बारे में अक्सर कहा जाता है कि- उनके साथ भेदभाव और अन्याय किया जाता था| उनके ऊपर अध्ययन करने पर तो मुझे आजतक ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे पता चले कि किसी ने उनके साथ भेदभाव या अन्याय किया हो| यदि आप में से किसी के पास इस सम्बन्ध में कोई जानकारी हो तो बताने की कृपा करें|

उनके बारे में पढने पर पता चलता है कि – उनके साथ अगर जीवन में किसी ने अन्याय किया तो वो उनके पिता रामजी सकपाल ने किया था| जिसने 14 बच्चो का बाप होते हुए दूसरी शादी की और दुसरी बीबी के चक्कर में अपने बच्चों को छोड़ दिया| अपने पिता की उपेक्षा और बीमारी के चलते 9 बच्चे अकाल मौत का शिकार हो गए|

अगर स्कूल की बात करें तो उनके स्कूल के ब्राह्मण अध्यापक ने उनको स्नेह और शिक्षा के साथ साथ अपना सरनेम अम्बेडकर तक दे दिया| भीम राव सकपाल ने अपने पिता से नाराज होने के कारण उन का सरनेम “सकपाल” त्याग कर अपने ब्राह्मण अध्यापक महादेव् आंबेडकर का सरनेम लगाया और आजीवन लगाय रहे|

उनकी योग्यता को देखते हुए, उनकी विदेश में उच्च शिक्षा का सारा खर्च बडौदा से सवर्ण गायकबाड़ शासक “सहयाजी राव तृतीय” ने उठाया| उसके बाद लन्दन में शोध करने का सारा खर्च, कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक “शाहू चतुर्थ” ने उठाया| एक ब्राह्मण महिला सविता आंबेडकर ने बिना जाती की परवाह किये उनके साथ विवाह किया|

उनकी शिक्षा को देखते हुए सन 1926 में उनको बाम्बे बिधान परिषद में, सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और यह काम भी सवर्ण सद्सयो ने ही किया| गांधी के कटु आलोचक होने के बाबजूद उनको “संविधान मसौदा समिति” के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया| एक पूरी समिति के द्वारा किये गए काम का सारा क्रेडिट उनको दे दिया गया|


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एक ब्राह्मण शिक्षक दलित बच्चे को शिक्षा के साथ अपना सरनेम देता है, उसी दलित को सवर्ण राजा उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजता है और उसकी शिक्षा एवं रहने सहने का खर्च उठाता है| एक ब्राह्मण महिला बिना उसकी जाती का बिचार किये उससे उससे विवाह करती है| देश के सवर्ण नेता, देश आजाद होने पर उसे महत्त्वपूर्ण दायित्व देते हैं|

तो फिर आखिर उनके साथ भेदभाव कब और किसने किया था ? इसके बाद भी अगर कोई भेदभाव का आरोप लगाए तो उसे क्या कहना चाहिए ? बालक सकपाल को जिसने शिक्षा और पहेचान दी उस, महान शिक्षक पंडित महादेव अंबेडकर को भूल गए| जिन महान राजाओं ने उच्च शिक्षा का खर्च उठाया, काम निकल जाने के बाद उसको छोड़ दिया ?

जिस धर्म में रहते हुए बड़ा मुकाम पाया, उसकी बुराई करना और म्रत्यु से मात्र डेढ़ महीना पहले जिस पंथ को अपनाया, उसका गुणगान करने लगना आखिर क्या था ? आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने की बात तो छोडिये, किसी क्रांतिकारी की कभी कोई कानूनी सहयाता की हो इसका अगर किसी को पता हो तो बताने की कृपा करे|

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