आम भाई इलायची बहन
(मजेदार पुरानी ग्रामीणआँचलिक कहानी)
एक था राजा। उसकी सात रानियां थीं। छह को राजा चाहता था, एक को नहीं। चहेती रानियों के लिए बड़े-बड़े बंगले थे। बंगलों में बढ़िया दीवान-खाने थे। अन्दर बहुत-सी हण्डियां और झूमरे थीं। नौकर-चाकर और दास-दासी भी बहुत-से थे।
बेचारी अनचहेती रानी के लिए एक टूटा-फूटा-सा झोंपड़ा था। झोंपड़े में मिट्टी के कुछ बर्तन रखे थे और बदसूरत-सी एक दासी थ। रानी के दु:खों का तो कोई हिसाब ही नहीं था। दिन काटे कटते नहीं थे। बेचारी रो-रोकर अपने दिन बिताती रहती थी। एक दिन अनचहेती रानी ने सोचा—‘इस तरह दिन-रात रोते रहने से तो अच्छा है कि मैं कोई ऐसा काम करूं कि दिन आराम से बीत जायं।’ उसने अपनी दासी से कहा, “दासी, जा! गांव के बाजार से रंगीन धागे ले आ। मुझे रूमाल काढ़ना है।”
दासी तरह-तरह के रंग-बिरंगे धागे ले आई। रानी ने रूमाल काढ़ना शुरू किया। वह दिन-भर इसी काम में लगी रहती। रात भी पूरी नींद न सोती। उसे पता ही नहीं चलता था कि कब दिन बीत गया और कब रात बीत गई।
रूमाल में रानी ने मोर और तोते, मैना और हंस—जैसे कई तरह के पक्षी बनाए। तरह-तरह के फूल बनाए। चारों तरफ हरी-हरी बेल बनाई।
पूरे एक बरस में एक रूमाल बनकर तैयार हो गया। रानी ने इस रूमाल को अपने झोंपड़े के दरवाज़े पर दरदे की तरह टांग दिया। एक दिन राजा उधर से घूमने निकला। रूमाल देखकर वह दंग रह गया!
राज ने सोचा—‘भला इतना बढ़िया रूमाल यहां किसने बनाया होगा? ऐसा रूमाल तो मैंने इससे पहले कभी देखा नहीं।’
राजा ने नौकरों से कहा, “जाकर पता लगाओ कि यह घर किसका है, और यह रूमाल किसने बनाया है?”
पूछने पर पता चला कि घर तो अनचहेती रानी का है, और रूमाल भी उसी ने तैयार किया है!
राजा रानी पर रीझ उठा। वह रोज़ उनचहेती रानी के घर आने, बैठने और बातें करने लगा। कभी-कभी वह उसी के घर भोजन कर लिया करता था। फिर तो राजा अपनी चहेती रानियों को भूल ही गया।
होते-होते अनचहेती रानी के मां बनने का समय आ पहुंचा। चहेती रानियों ने सोचा—‘इस अनचहेती के बच्चे को मरवा डालना चाहिए, नहीं तो वह राज का मालिक बन जायगा और हम सबको दर-दर भटकना पड़ेगा।’
रानियों ने एक दाई को बुलाया और उससे कहा, “सुनो, अगर अनचहेती रानी के लड़का पैदा हो, तो तुम उसकी आंखों पर पट्टी बांध देना और लड़के को बगीचे में गाड़ आना। खबरदार! भूलना मत! लो, ये रुपए लेती जाओ। आगे और भी देंगे।”
अनचहेती रानी के लड़का हुआ। बड़ा सुन्दर, मानों पूनम का चांद हो। दाई ने रानी की आंखों पर पट्टी बांध दी, फिर लड़के को उठाकर बगीचे में गाड़ आई और रानी की बगल में एक बड़ा-सा पत्थर लागर रख दिया।
राज ने पूछा, “रानी के क्या हुआ?”
दाई बोली, “पत्थर। अनचहेती के और क्या होता?”
राजा बेचारा क्या समझे? उसने मान लिया कि पत्थर ही हुआ होगा।
दो बरस बीत गए। अनचहेती के एक और लड़का जन्मा। बड़ा रूपवान। लेकिन दाई उसे भी बगीचे में गाड़ आई।
राजा ने पूछा, “कहो, इस बार क्या हुआ?”
दाई बोली, “अनचहेती के पेट से तो पत्थर ही न जनमेगा?”
राजा भोला था। उसने इसको भी सच मान लिया।
होते-होते अनचहेती रानी ने दह राजकुमार और एक राजकुमारी को जन्म दिया। राजकुमार सब सूरज के समान और राजकुमारी इन्द्र की अप्सरा के समान! पर दाई के मन में दया कहां से आए? वह तो एक के बाद एक सबको जमीन में गाड़ती ही चली गई।
बगीचे में एक के बाद एक सात पेड़ उगे। छह आम के और एक इलायची का। छह भाइयों के और एक बहन का। एक बार सबेरे-सबेरे भंगी बगीचे की सफाई कर रहा था। तभी उसकी झाडू इलायची के पेड़ को छू गयी।
इलायची पेड़ बोला :
हे आम भाई! हे आम भाई!
एक इलायची बहन को कौन हिला रहा है?
आम बोला:
बहन! क्षमा करो! यह तो अपना भंगी है!
भंगी ने जाकर कहा, “जमादार, ज़रा चलकर देखो! वहां पेड़ बोल रहा है।” जैसे ही जमादार ने इलायची के पेड़ को छुआ कि पेड़ बोला:
हे आम भाई! हे आम भाई!
एक इलायची बहन को कौन हिला रहा है?
आम बोला:
बहन! क्षमा करो। ये तो हमारे जमादार हैं।
जमादार ने सोचा—‘सचमुच, यह तो बड़े ग़जब की बात है।’
जमादार ने जाकर फ़ौज़दार से कहा। फ़ौज़दार के साथ भी वही हुआ। फ़ौज़दार ने दीवान से कहा। दीवाने ने राजा से कहा। राजा स्वयं बगीचे में आया, और उसने इलायची के पेड़े को हिलाया। तभी अन्दर से पेड़ बोला:
हे आम भाई! हे आम भाई!
एक इलायची बहन को कौन हिला रहा है?
सुनकर आम हंसा और बोला:
बहन! क्षमा करो! ये तो हमारे पिताजी हैं।
सेनते ही राजा अचम्भे में आ गया। इसी बीच वहां चहेती रानियां भी आ पहुंचीं। एक रानी ने इलायची के पेड़ को हिलाया, तो पेड़ बोला:
हे आम भाई! हे नीम भाई!
एक इलायची बहन को कौन हिला रहा है?
सुनकर आम ने कहा:
बहन! क्षमा करो! ये तो हमारी बैरिन मां हैं।
राजा ने सुना तो वह लाल-पीला हो उठा। चहेती रानी भी खिसिया गई! दूसरी सब चहेती रानियों ने भी हाथ लगाया, तो उनको भी वही बात सुनने को मिली। इसी बीच अनचहेती रानी ने धीमे से इलायची के पेड़ को छुआ तो पेड फिर बोला:
हे आम भाई! हे आम भाई!
एक इलायची बहन को कौन हिला रहा है?
आम ने कहा:
बहन! क्षमा करो? ये तो हमारी मां है।
राजा सोच में पड़ गया। अनचहेती रानी बोली, “अरे, यहां ये मेरे बच्चे कैसे आये।”
राजा ने दाई को बुलवाया और कहा, “सुनो, सबकुछ सच-सच कह दो, नहीं तो अभी कोल्हू में पेरकर तुम्हारी जान ले लूंगा।” दाई ने सारी बातें बता दीं।
फिर तो आम के पेड़ों में से भाई निकल आए और इलायची के पेड़ में से बहन निकली। सबकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा। राजा ने तो सभी चहेती रानियों के सिर मुंडवा दिए, सिरों पर चूना पुतवा दिया, और उलटे मुंह गधे पर बैठाकर उन्हें नगर से बाहर निकलवा दिया।
फिर राजा ने अनचहेती रानी को अपनी चहेती रानी बना लिया।
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