भगवान श्री राम और हनुमान जी की पूजा करने से पहले उनका ध्यान मंत्र बोलकर मन में ध्यान करना सबसे आवश्यक है। ध्यान से ही पूजा प्रारम्भ होती है। इस पोस्ट में हम आपको भगवान श्री राम हनुमान जी के ध्यान मन्त्र दे रहे हैं।
भगवान राम हनुमान जी की पूजा विधि – Ram Hanuman Puja Vidhi
हनुमान जी पूजा करने से पहले भगवान श्री राम जी की पूजा अवश्य ही करें। चाहे संक्षिप्त ही पूजा करें पर करें अवश्य , इससे हनुमान जी की प्रसन्नता शीघ्र प्राप्त होती है।
भगवान राम की पूजा विधि
प्रातः स्नान करके भगवान के लिए कुछ फूल , नैवेद्य की व्यवस्था कर लें। नैवेद्य में यदि ताज़ा फल या मिठाई न हो सके तो सूखे मेवे काजू, किसमिस, बादाम, अखरोट आदि की व्यवस्था रखें।
सबसे पहले भगवान का ध्यान मन्त्र पढ़कर उनका आवाहन करें –
प्रभु श्री राम ध्यान मंत्र – Shri Ram Dhyan Mantra
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥
śāntaṃ śāśvatamaprameyamanaghaṃ nirvāṇaśāntipradaṃ
brahmāśambhuphaṇīndrasevyamaniśaṃ vedāntavedyaṃ vibhum।
rāmākhyaṃ jagadīśvaraṃ suraguruṃ māyāmanuṣyaṃ hariṃ
vande’haṃ karuṇākaraṃ raghuvaraṃ bhūpālacūḍāmaṇim॥
अर्थ:-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ॥
भगवान को एक पुष्प और अक्षत अर्पित करके आसन दें। भगवान की प्रतिमा पर या चित्र (फोटो) पर ताज़ा फूल अर्पित करें। धूप जलाएं और शुद्ध देशी घी का दीप अर्पित करें। फिर भगवान को नैवेद्य तुलसी दल डाल कर समर्पित करें । कुछ जगहों पर भगवान. राम को शाक और दाल भात अर्पित करने का प्रचलन हैं। यदि ताजी शुद्ध रसोई बानी हो सबसे पहले भगवान को यह भी भोग स्वरुप अर्पण कर सकते हैं।
फिर ‘श्री राम चालीसा‘ का पाठ करें या ‘श्री राम जय राम जय जय राम‘ मन्त्र का कम से कम जाप १ माला ( १०८ बार जाप करें )।
फिर आपकी जो भी प्रार्थना हो भगवान को निवेदित करें। यदि कोई इच्छा न हो तो नीचे दी हुयी प्रार्थना को भगवान के समक्ष पढ़ें
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥
nānyā spṛhā raghupate hṛdaye’smadīye
satyaṃ vadāmi ca bhavānakhilāntarātmā।
bhaktiṃ prayaccha raghupuṃgava nirbharāṃ me
kāmādidoṣarahitaṃ kuru mānasaṃ ca॥
अर्थ:-हे रघुनाथजी! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए॥
हनुमान जी की पूजा विधि
प्रातः स्नान करके हनुमान जी के लिए कुछ फूल नैवेद्य की व्यवस्था कर लें। लाल फूल सबसे अच्छे रहेंगे , उनके आभाव में कोई भी अन्य ताज़ा फूल ले लें । नैवेद्य में मोतीचूर य बेसन के लड्डू की व्यवस्था करें। यदि यह संभव न हो तो ताज़ा फल, मिठाई या सूखे मेवे (काजू, किसमिस, बादाम, अखरोट आदि) की व्यवस्था रखें। यदि यह भी न हो सके तो गुड़ चने से भोग लगाने की व्यवस्था कर लें।
सबसे पहले हनुमान जी का ध्यान मन्त्र पढ़कर उनका आवाहन करें –
श्री हनुमान ध्यान मंत्र – Shri Hanuman Dhyan Mantra
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
atulitabaladhāmaṃ hemaśailābhadehaṃ
danujavanakṛśānuṃ jñānināmagragaṇyam।
sakalaguṇanidhānaṃ vānarāṇāmadhīśaṃ
raghupatipriyabhaktaṃ vātajātaṃ namāmi॥
अर्थ:-अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥
पूजन स्थान पर हनुमान जी मूर्ति या फोटो की स्थापना कर लें। हनुमान जी के बैठने के लिए एक लाल वस्त्र उनके मूर्ति या चित्र के पास बिछा दें।
लाल आसन पर हनुमान जी को एक पुष्प और अक्षत अर्पित करके बैठने का थान दें । हनुमान जी की प्रतिमा पर या चित्र (फोटो) पर ताज़ा फूल अर्पित करें। धूप जलाएं और शुद्ध देशी घी का दीप अर्पित करें। फिर भगवान को नैवेद्य तुलसी पत्र (पत्ता) डाल कर समर्पित करें ।
फिर ‘हनुमान चालीसा‘ का पाठ करें या ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट‘ मन्त्र का कम से कम जाप १ माला ( १०८ बार जाप करें )।
फिर आपकी जो भी प्रार्थना हो भगवान को निवेदित करें। यदि कोई इच्छा न हो तो हनुमान जी श्री राम जी की भक्ति अवश्य मांगें।
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