ईश्वर का नाम
||ॐ श्री परमात्मने नमः||
__ ईश्वर का नाम ___
भजन तो एक परमात्मा का किया जाता है। परमात्मा के अनंत नाम हैं, सुबह से शाम तक रटते जाओ, आयुपर्यन्त रटते जाओ, किन्तु संपूर्ण नाम एक भी नहीं । वह अनिर्वचनीय है, वाणी से निर्वचन नहीं किया जा सकता।
महापुरुष बिबिध एंगल से उन प्रभु को संबोधित करते आ रहे है, उनमें से परमात्मा का एक नाम है हरि,
~ वे जिन पर अनुग्रह करते हैं उसका शुभाशुभ हर लेते है बदले में अपना स्वरुप प्रदान कर देते है। शुभाशुभ का हरण करते है इसलिए – हरि,
~ सबका भरण-पोषण करते हैं- इसलिए प्रभु,
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~ संपूर्ण विभूतियों से युक्त हैं इसलिए – बिभु,
~ ओम ओ माने वह अविनाशी परमात्मा, अहम माने आप स्वयं, उसका निवास आपके ह्रदय देश में है इसलिए – ॐ,
~ जैसे गाड़ी का सञ्चालन करने वाले को गाड़ीवान उसी प्रकार भगवान्, भग कहते है त्रिगुणमयी प्रकृति को इस त्रिगुणमयी प्रकृति का सञ्चालन और नियमन करते है इसलिए – भगवान्,
~ वो सर्वत्र है परंतु जब किसी को मिला है तो स्वर में वृतियों के निरोध के साथ मिला है। जहाँ स्वर में वृति का उठा-पटक शांत हुआ, न भले उद्वेग उठे न बुरे, वृति शांत प्रवाहित हो गयी, जिसका नाम है स्वर-निरोध। स्वर निरोध की आड़ में जो छिपी सत्ता है उसका नाम है – ईश्वर,
~ अंतः करण के अंतराल में सदा निवास है इसलिए – आत्मा,
~ सबमे रहते हुए भी सबसे परे है इसलिए – परम आत्मा अर्थात परमात्मा। सब उपलब्धि है प्रभु का। जहाँ साधना पूर्ण होती है परिणाम निकल आता है ।
इस प्रकार आप जीवन पर्यंत कहते जाओ, किन्तु संपूर्ण नाम एक भी नहीं।
नाम रूप गति अकथ कहानी ।
समुझत सुखद न परती बखानी।।
इसलिए उन प्रभु का कोई दो ढाई अक्षर का नाम ॐ या राम, जो प्रिय लगे, का सतत चिंतन और सद्गुरु का ध्यान करना चाहिए । सद्गृहस्थ आश्रम में रहते हुए, सब कुछ जो हम सब कर रहें है, करते हुए चिंतन में उन प्रभु का नाम याद आया करे।
हमें कुछ भी क्रिया छोड़ना नहीं है , बस एक चीज उसमे जोड़ लेना है, वह है – प्रभु के नाम का चिंतन, सोने पे सुहागा है। सुबह शाम आधा घंटा बीस मिनट बैठकर भजन अवश्य करना चाहिए ।