श्री हनुमान चालीसा का एक एक पद इतना शक्तिशाली है कि यदि पूर्ण मनोयोग से प्रतिदिन, ५,७, या ११ इसका प्रतिदिन पाठ किया जाय तो हनुमान जी की कृपा का अनुभव निरंतर होने लगता है। कठिनाइयाँ आसान होने लगाती है। संकट दूर होने लगते है। सफलता का प्रतिशत बढ़ने लगता है। मेरा स्वयं सिद्ध अनुभव है की जाने कितनी ही बार हनुमान जी ने कितनी बार अप्रत्याशित रूप से सहायता की और संकटों से मुक्ति दिलाई है।कृतज्ञता भरे मन से बस यही पुकार निकलती है कि जय हनुमान ज्ञान गुण सागर : Jai hanuman Gyan Gun Sagar
हनुमान चालीसा हिंदी में
श्री गुरु चरण रज , निज मन मुकुर सुधार।
वरणऊ रघुबर विमल जस , जो दायक फल चार॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरऊ पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि , हरहु कलेश विकार ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥1॥
राम दूत अतुलित बल धामा , अंजनीपुत्र पवन सुत नामा ॥2॥
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के सँगी ॥3॥
कंचन वरण विराज सुवेसा , कानन कुंडल कुंचित केशा ॥4॥
हाथ वज्र अरू ध्वजा विराजे, काँधे मूज जनेऊ साजे ॥5॥
शंकर सुवन केशरी नंदन, तेज प्रताप महाजग वंदन ॥6॥
विद्यावान गुणी अति चातुर , राम काज करिबे को आतुर ॥7॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया , राम लखन सीता मन बसिया ॥8॥
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा ॥9॥
भीम रूप धरी असुर संहारे, रामचंद्र के काज सवारे ॥10॥
लाय संजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर कंठ लगाए, ॥11॥
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई , तुम मॅम प्रिय भरत सम भाई ॥12॥
सहस बदन तुम्हारो जस गावें , अस कह श्रिपति कंठ लगावें ॥13॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा , नारद शारद सहित अहिशा ॥14॥
यम कुबेर दिग्पाल जहाँते, कवि कोबिद कही सके कहाँ ते ॥15॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा , राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥16॥
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना,लंकेश्वर भाए सब जग जाना ॥17॥
युग सहस्र योजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू, ॥18॥
प्रभु मुद्रिका मेली मुख माही, जलधि लाँघी गये अचरज नाहीं ॥19॥
दुर्गम काज जगत के जेते , सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥20॥
राम दुआरे तुम रखवारे , होत ना आज्ञा बिनु पैसारे ॥21॥
सब सुख लहे तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डर ना ॥22॥
आपन तेज सम्हारो आपे , तीनो लोक हांकते कापे ॥23॥
भूत पिशाच निकट नही आवे, महावीर जब नाम सुनावे ॥24॥
नाशै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
संकट से हनुमान छुड़ावें, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें ॥26॥
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा ॥27॥
और मनोरथ जो कोई लावें , सोई अमित जीवन फल पावें ॥28॥
चारो युग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा ॥29॥
साधु संत के तुम रखवरे, असुर निकंदन राम दुलारे ॥30॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता , अस वर दीन्ह जानकी माता ॥31॥
राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥32॥
तुम्हरो भजन राम को भावे जन्म जन्म के दुख़ बिसरावे ॥33॥
अंतकाल रघुबर पूर जाई , जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥34॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥35॥
संकट कटै मिटै सब पीरा , जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥36॥
जय जय जय हनुमान गुसाईं , कृपा करहुं गुरुदेव की नाईं ॥37॥
जो यह शत बार पाठ कर जोई, छुटहि बंदी महासुख होई ॥38॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा , होय सिद्ध साखी गौरीशा ॥39॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजे नाथ हृदय मह डेरा ॥40॥
पवन तनय संकट हरण , मंगल मुरति रूप ।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहुँ सुर भूप ॥
सिया वर रामचंद्र की जय!
पवनसुत हनुमान की जय!
Here is the video of the Jai hanuman Gyan Gun Sagar : Hanuman chalisa sung by Shri Mahendra Kapoor.
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