June 2, 2023
0
(0)

श्री झूलेलाल चालीसा

॥दोहा॥

जय जय जल देवता, जय ज्योति स्वरूप।
अमर उडेरो लाल जय, झुलेलाल अनूप॥

॥चौपाई॥


रतनलाल रतनाणी नंदन। जयति देवकी सुत जग वंदन॥
दरियाशाह वरुण अवतारी। जय जय लाल साईं सुखकारी॥

जय जय होय धर्म की भीरा। जिन्दा पीर हरे जन पीरा॥
संवत दस सौ सात मंझरा। चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा॥

ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा। प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा॥
सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी। मिरखशाह नऊप अति अभिमानी॥

Dibhu.com-Divya Bhuvan is committed for quality content on Hindutva and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supportting us more often.😀


कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी। यवन मलिन मन अत्याचारी॥
धर्मान्तरण करे सब केरा। दुखी हुए जन कष्ट घनेरा॥

पिटवाया हाकिम ढिंढोरा। हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा॥
सिन्धी प्रजा बहुत घबराई। इष्ट देव को टेर लगाई॥

वरुण देव पूजे बहुंभाती। बिन जल अन्न गए दिन राती॥
सिन्धी तीर सब दिन चालीसा। घर घर ध्यान लगाये ईशा॥

गरज उठा नद सिन्धु सहसा। चारो और उठा नव हरषा॥
वरुणदेव ने सुनी पुकारा। प्रकटे वरुण मीन असवारा॥

दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा। कर पुष्तक नवरूप अनूपा॥
हर्षित हुए सकल नर नारी। वरुणदेव की महिमा न्यारी॥

जय जय कार उठी चाहुँओरा। गई रात आने को भौंरा॥
मिरखशाह नऊप अत्याचारी। नष्ट करूँगा शक्ति सारी॥

दूर अधर्म, हरण भू भारा। शीघ्र नसरपुर में अवतारा॥
रतनराय रातनाणी आँगन। खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन॥

रतनराय घर ख़ुशी आई। झुलेलाल अवतारे सब देय बधाई॥
घर घर मंगल गीत सुहाए। झुलेलाल हरन दुःख आए॥

मिरखशाह तक चर्चा आई। भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई॥
मंत्री ने जब बाल निहारा। धीरज गया हृदय का सारा॥

देखि मंत्री साईं की लीला। अधिक विचित्र विमोहन शीला॥
बालक धीखा युवा सेनानी। देखा मंत्री बुद्धि चाकरानी॥

योद्धा रूप दिखे भगवाना। मंत्री हुआ विगत अभिमाना॥
झुलेलाल दिया आदेशा। जा तव नऊपति कहो संदेशा॥

मिरखशाह नऊप तजे गुमाना। हिन्दू मुस्लिम एक समाना॥
बंद करो नित्य अत्याचारा। त्यागो धर्मान्तरण विचारा॥

लेकिन मिरखशाह अभिमानी। वरुणदेव की बात न मानी॥
एक दिवस हो अश्व सवारा। झुलेलाल गए दरबारा॥

मिरखशाह नऊप ने आज्ञा दी। झुलेलाल बनाओ बन्दी॥
किया स्वरुप वरुण का धारण। चारो और हुआ जल प्लावन॥

दरबारी डूबे उतराये। नऊप के होश ठिकाने आये॥
नऊप तब पड़ा चरण में आई। जय जय धन्य जय साईं॥

वापिस लिया नऊपति आदेशा। दूर दूर सब जन क्लेशा॥
संवत दस सौ बीस मंझारी। भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी॥

भक्तो की हर आधी व्याधि। जल में ली जलदेव समाधि॥
जो जन धरे आज भी ध्याना। उनका वरुण करे कल्याणा॥

॥दोहा॥

चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय॥

॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥

1.चालीसा संग्रह -९०+ चालीसायें
2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ

Facebook Comments Box

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!