वीरता पर कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe on Bravery
सिर राखे सिर जात है, सिर कटाये सिर होयेजैसे बाती दीप की कटि उजियारा होये। Sir rakhai sir jat hai,sir katai sir hoyeJaise bati deep ki,kati ujiara hoye. भावार्थ: सिर अंहकार का प्रतीक है। सिर बचाने …
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