क्रोध पर कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe On Anger
जहां काम तहां नाम नहीं,जहां नाम नहि कामदोनो कबहू ना मिलैय रवि रजनी एक ठाम। Jahan kaam tahan naam nahi, jahan naam nahi kaamDonoe kabahu na milay ravi rajni ek tham. भावार्थ: जहाँ काम, वसाना, इच्छा …
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