नवरात्रि नवदुर्गा आरती संग्रह दिवस 3
चन्द्रघण्टा माता की आरती के बोल-लिरिक्स –जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
।।इति श्री चन्द्रघण्टा माता जी आरती समाप्त।।
माँ चंद्रघंटा का स्वरुप स्वर्णिम तेज युक्त है। माता के मस्तक पर अर्धचंद्र घंटे के रूप में सुशोभित होने के कारण माता का नाम चन्द्रघण्टा प्रसिद्द है। माता के दस हाथ और तीन नेत्र हैं। माता धर्मरूपी सिंह पर विराजमान हैं। माता युद्ध के उद्धत और अपने भक्तो की रक्षा के लिए सर्वदा तत्पर हैं। माता के चन्द्रघण्टा स्वरुप की आराधना करने से भक्त निर्भय हो जाता है और समस्त सुख प्राप्त करता है।
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