श्री चित्रगुप्त चालीसा
रावण कंस सकल मतवारे । तव प्रताप सब सरग सिधारे ।।
प्रथम् पूज्य गणपति महदेवा । सोउ करत तुम्हारी सेवा ।।
Bringing you closer to Hindu Indian roots
चालीसा संग्रह
रावण कंस सकल मतवारे । तव प्रताप सब सरग सिधारे ।।
प्रथम् पूज्य गणपति महदेवा । सोउ करत तुम्हारी सेवा ।।
डाकनि, शाकनि अरु जिन्दनी, मशान चुडैल भूत भूतनी |
जाके भय से सब भाग जाते, स्याने भोपे यहाँ घबराते |
चौकी बंधन सब कट जाते, दूत मिले आनंद मनाते |
सच्चा है दरबार तिहारा, शरण पडे सुख पावे भारा |
श्री राम चालीसा-2 (संत श्री सुन्दर दास रचित) ॥दोहा॥ गणपति चरण सरोज गहि । चरणोदक धरि भाल॥लिखौं विमल रामावली । सुमिरि अंजनीलाल ॥ राम चरित वर्णन करौं । रामहिं हृदय मनाई ॥मदन कदन रत राखि सिर …
श्री राम चालीसा-2 Read Moreतबसे कहें सकल बुध ज्ञानी। जयतु छिन्नमस्ता वरदानी।।
तुम जगदंब अनादि अनन्ता। गावत सतत वेद मुनि सन्ता।।
श्री निर्मला चालीसा-1 ( कवि सी. एल. पटेल रचित ) ॥दोहा॥ वन्दौं श्री गणपतिपद, विघ्नविनाशन हार।पवित्रता की शक्ति जो, सब जग मूलाधार॥ ॥चौपाई॥ जय जय जय हे निर्मला माता। जय जय जय हे जन सुख-दाता॥1॥आदि शक्ति …
श्री निर्मला चालीसा-1 Read More धर्मो रक्षति रक्षितः