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Dancer In King's Court

घणी गई थोड़ी रही-एक बोध कथा

एक पुरानी कथा जो आज भी बिल्कुल प्रसांगिक है। एक राजा को राज करते काफी समय हो गया था।बाल भी सफ़ेद होने लगे थे।एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने मित्र देश के …

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ठण्ड के मौसम की कवितायेँ

ठण्ड (जाड़ा) के ऊपर भोजपुरी कविता जाड़ा बहुत सतावत बा सरसर हवा बाण की नाईं थर थर काँपैं बाबू माई तपनी तापैं लोग लुगाई कोहिरा छंटत नहीं बा भाई चहियै सबै जियावत बा जाड़ा बहुत सतावत …

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राजपूतों का क्षत्रियत्व

ऐतिहासिक जानकारी :- 1) राजपूतों में पहले सिर के बाल बड़े रखे जाते थे, जो गर्दन के नीचे तक होते थे। युद्ध में जाते समय बालों के बीच में गर्दन वाली जगह पर लोहे की जाली …

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Friends

मित्रता पर कुछ कविताएं एवं रचनाएं

‘मित्र वही है।’ मैथिलीशरण गुप्त की सुन्दर रचना तप्त हृदय को , सरस स्नेह से, जो सहला दे , मित्र वही है। रूखे मन को , सराबोर कर, जो नहला दे , मित्र वही है। प्रिय …

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Sanyasi

रूप का फेर

रूप का फेर शनक और अभिप्रतारी नाम के दो ऋषि वायु देवता के उपासक थे। एक दिन दोपहर को दोनों ने भोजन तैयार किया। भोजन बना ही था कि किसी ने दरवाजा खटखटाया। बाहर एक युवा …

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