श्री सूर्य चालीसा-2
श्री सूर्य चालीसा-2 ॥दोहा॥ श्री रवि हरत हो घोर तम, अगणित किरण पसारी।वंदन करू तब चरणन में, अर्ध्य देऊ जल धारी।। सकल सृष्टि के स्वामी हो, सचराचर के नाथ।निसदिन होत तुमसे ही, होवत संध्या प्रभात।। ॥चौपाई॥ …
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