बिस्मिल्ला खान अक्सर पंचगंगा घाट किनारे स्थित बालाजी मंदिर में सूर्योदय के पहले ही शहनाई वादन का रियाज किया करते थे। वह गंगा से बालाजी मंदिर तक की 508 सीढियां चढ़ कर ऊपर जाते और मंदिर प्रांगण में बैठकर रियाज करते। संगीत का अभ्यास करते समय उनके लिए बाहरी दुनिया का कोई अस्तित्व खत्म हो जाया करता था। वह संगीत में इतना डूब जाते कि उनके लिए संगीत ईश्वर से मिलन का एक माध्यम बन जाता करता|
एक बार एक अन्तरराष्ट्रीय प्रेस को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्हें रियाज के दौरान बालाजी मंदिर में हनुमानजी के दर्शन हुए थे। उनके अनुसार जब वह दस- बारह साल के थे। वो उस समय बनारस के पंचगंगा घाट किनारे बालाजी मंदिर में रियाज के लिए जाते थे। बिस्मिल्लाह खान के शब्दों में, एक दिन बहुत सुबह वह पूरी तरह तल्लीन होकर पूरे मूड में मंदिर में शहनाई बजा रहे थे। हमने दरवाजा बंद किया हुआ था जहाँ हम रियाज कर रहे थे। हमें फिर बहुत जोर की एक अनोखी खुशबू आई। देखते क्या हैं कि हमारे सामने बाबा हनुमान यानि बाला जी खड़े हुए हैं हाथ में कमंडल लिए हुए। मुझसे कहने लगे ‘बजा बेटा’ मेरा तो हाथ कांपने लगा, मैं डर गया, मैं बजा ही नहीं सका, अचानक वो जोर से हंसने लगे और बोले मजा करेगा, मजा करेगा और वो ये कहते हुए गायब हो गए।
हनुमान जी के आर्शीवाद से बदल गई बिस्मिल्लाह ख़ाँ की जिंदगी:
इतनी सी उम्र में साक्षात हनुमान जी के दर्शन से बिस्मिल्लाह बदहवास से हो गए। वह तुरन्त अपने घर पहुंचे और उन्होंने जब अपने मामू को ये बात बताई तो वह मुस्कुरा दिए। उनके मामा ने उन्हें कहा कि ये बात किसी को नहीं बताना, जब बिस्मिल्लाह जबरन बताने पर अड़े रहे तो उनके मामा ने उन्हें जोर से तमाचा मार दिया और दुबारा किसी को ऐसी बातें नहीं बताने की ताकीद की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह हनुमानजी थे, उन्होंने तुम्हारे रियाज से खुश होकर तुम्हें आशीष दिया है। इस घटना के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। मामा के तमाचे के बाद उन्होंने यह बात पुरी उम्र अपने दिल में ही रखी। अपने देहांत से कुछ सालों पहले ही उन्होंने यह राज खोलते हुए कहा था कि अपनी जिंदगी में आज जो कुछ भी हूं, बालाजी की कृपा से ही हूं।
Reference: https://hi-in.facebook.com/pagebanarasibhaukal/posts/405708620030022
बालाजी मंदिर, वाराणसी – Bharatkosh – भारतकोश
Post credit- Priyanka Rai
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