आश्रम वृदावन, बरसात का महीना था , और बहुत तेज बारिश थ। कुछ भक्त और साधु लोग नीचे वाली धूनी कै पास बैठें थे, बाबा आश्रम के ऊपरी हिस्से वाली धूनी कै पास बैठे थे।
तभी अचानक , नीचे वाले धूनी मैं एक विराट साधु आया ,जिसका पूरा शरीर लाल रंग का था।, उसके पूरे शरीर मैं एक लगोंट थी , और वो भी पूरी गीली थी, वह कुछ देर धूनी के पास बैठा और बिलकुल मौन रहा ,फिर वह विराट साधु, भगवान् शिव के दर्शन के लिए गय। और उसके कुछ समय बाद , आश्रम के ऊपरी हिस्से वाली धूनी मैं बाबा से मिलने चला गया।
बाबा से मिलने के बाद , वह साधु , दुबारा नीचे वाली धूनी के पास आया और अपना गीला लगोंट उतार दिया, अब वह बिलकुल ही नग्न अवस्था मैं था , कुछ साधु और भक्त को ये बात पसंद नहीं आयी। तभी अचानक वो साधु लगोंट को वहां छोड़कर , नीचे की तरफ चला गया।
कुर्मांचल के लोग कहते हैं , ठीक उसी समय , बाबा ने सबको ऊपर बुलाया और कहाँ ” हनुमान जी के दर्शन हो गए सबको “।
सभी साधु और भक्तों मैं सनाटा सा छा गया , सब नीचे की तरफ भागे , कोई आश्रम की गेट की तरफ भागा, न हनुमान जी की लंगोट मिली ना हनुमान जी , सब बड़े दुखी थी , किसी को हनुमान जी को ना पहचाने का दुःख , और किसी को उस साधु के लिए गलत भावना रखने का दुःख।
शायद हनुमान जी ने अपनी माया से लोगों को कुछ सोचने ही ना दिया हो। ये तो हनुमान जी ही जाने या सोमबारी बाबा ही जाने।
जय श्री बाबा नीम करोली
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