गणपति बप्पा मोरया का अर्थ- Ganpati Bappa Morya Meaning
गणपति विसर्जन के समय लोग यह जयकारा लगाते जाते हैं ,
गणपति बप्पा मोरया, मंगळमूर्ती मोरया, पुढ़च्यावर्षी लवकरया
शब्दार्थ:
- गणपति- गणेश जी
- बाप्पा= पिता
- मोरया- मोरया गोसावी जी का नाम
- मंगलमूर्ति – मंगल के विग्रह, सब शुभ करने वाले
- पुढच्या – अगले वर्ष
- लवकरआ- जल्दी आना
अर्थ: अर्थात हे मंगलमय (शुभ करने वाले ) पिता श्री गणेश जी-मोरया, अगली बार और जल्दी आना।
मोरया जी का नाम श्री गणेश जी के साथ कैसे जुड़ा इसके पीछे एक बड़ी रोचक कथा है।
भक्त मोरया गोसावी जी की कथा-Morya ji ki Kahani
महाराष्ट्र में गणपति उत्सव बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। भक्त जन गणेश चतुर्थी श्री गणेश जी का आह्वान करते हैं और कुछ दिनों के बाद उनका विसर्जन कर उन्हें विदा भी करते हैं। गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) के समय लोग जोर-जोर से जयकारा भी लगाते हैं ‘गणपति बप्पा मोरया , अगले बरस फिर जल्दी आ'( Ganpati Bappa Morya)। यहाँ हम उन्ही मोरया भक्त जी की कहानी जानेंगे जिनका लोग गणपति के साथ हर बार नाम लेते हैं।
भक्त मोरया गोस्वामी कर्नाटक के एक छोटे से गांव से थे, वे गणेश जी के परम भक्त थे, हर जीव में गणेश जी को ही देखते थे। किसी ने घर पर चूहा मार बाहर फेक दिया तो वो उसका अंतिम संस्कार कर दिया करते थे, कहते ये गणेश जी का वाहन है।
कोई श्वान (कुत्ता) मरा मिलता उसका भी अंतिम संस्कार कर देते। यहाँ तक कि कोई चिड़िया, कोई भी जीव मृत मिलता तो उनका अंतिम संस्कार कर देते।
संत जी अपनी गणेश भक्ति में ही मगन रहते, सभी जीवो को अत्यन्त प्रेम करते थे जीव भी उनसे उतना ही प्रेम करते थे, वैसे भी जब प्रभु से प्रेम होता है न तब सब जीवो से प्रेम हो ही जाता है।
कुछ समय बाद उन्होंने कर्नाटक छोड़ दिया और महाराष्ट्र आ गए। यहां भी भक्त मोरया गणेश जी की वही नित्य की दिनचर्या, वहीं सेवा, वहीं कर्म। जो जीव मृत मिले उसका अंतिम संस्कार कर देना, श्रीगणेश का मनन, श्रीगणेश से प्रीति भक्ति।
अब यहां के गांव वाले भी उनकी इस कर्म से चिढ़ाने लगे, उन्होंने संत जी को गांव से निकाल दिया, गांव से उनको गणेश जी हाथ पकड़ ले जाने लगे तो संत जी ने भगवान से कहा, भगवन आप यही रहे, यही स्थापित हो जाइए कुछ भला हो गांव वालो का, तो गणेश जी ने उनकी बात मान अपने पोते आमोद से कहां की आप संत जी के संग रहे, तब आमोद भक्त मोरया गोस्वामी जी का हाथ पकड़े चलते रहे। ऐसे वे आठ गांव से गांव वालो द्वारा निकाले गए, संत मोरया गोस्वामी जी, और वही आठ गांवों में अष्ट विनायक के रूप में स्थापित है गणेश जी।
अन्तिम समय में गणेशजी ने भक्त मोरया को दर्शन दिए और उनसे पूछा आप क्या चाहते हो, बोलिए जो इच्छा हो वो पूर्ण होगी, तो भक्त जी ने कहा प्रभु मेरा नाम आप के नाम के संग जुड़ जाए बस…
फिर इन्होंने जीवित समाधि ले ली। तभी से कहते हैं, गणपति बप्पा मोरया…(Ganpati Bappa Morya…) गणपति बप्पा मोरया कहने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
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