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मोह पर कबीर के दोहे|Kabir Ke Dohe On Attachment

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काहु जुगति ना जानीया,केहि बिधि बचै सुखेत
नहि बंदगी नहि दीनता, नहि साधु संग हेत।

kahu jugati na janiya,kehi bidhi bachai sukhet
Nahi bandgi nahi deenta,nahi sadhu sang het.

भावार्थ: मैं कोई उपाय नहीे जानता जिससे मैं अपना खेती की रक्षा कर सकता हूॅ। न तो मैं ईश्वर की बंदगी करता हूॅं और न हीं मैं स्वभाव में नम्र हूॅं। न हीं किसी साधु से मैंने संगति की है।

Meaning: Don’t know the way the farm can be saved. Neither do I pray nor I am modest,I do not have the company of saint.

जब घटि मोह समाईया, सबै भया अंधियार
निरमोह ज्ञान बिचारि के, साधू उतरै पार।


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JabGhati moh samaiya,sabai bhaya andhiyar
Nirmoh gyan bichari ke,sadhu utrai par.

भावार्थ: जब तक शरीर मे मोह समाया हुआ है-चतुद्रिक अंधेरा छाया है। मोह से मुक्त ज्ञान के आधार पर संत लोग संासारिकभव सागर से पार चले जाते हंै।

Meaning: When the body contains delusion,all become dark. Keeping the knowledge of disillusion,a saint crosses the side.

मोह नदी बिकराल है, कोई न उतरै पार
सतगुरु केबट साथ लेई, हंस होय जम न्यार।

Moh nadi bikral hai, koi na utrai par
Satguru kebat sath lai,hansh hoye jam nyar.

भावार्थ: यह मोह माया की नदी भंयकर है। इसे कोई नहीं पार कर पाता है। यदि सद्गुरु प्रभु के नाविक के रुप में साथ हो तो हॅंस समान सत्य का ज्ञानी मोह समान यम दूत से वच सकता है।

Meaning: The river of delusion is horrible,none can cross it. If the God as boatman is with you,the swan of truth can save from the God of death.

मोह मगन संसार है, कन्या रही कुमारि
कहु सुरति जो ना करि, ताते फिरि औतारि।

Moh magan sansar hai,kanya rahi kumari
Kahu surati jo na kari,tate firi Autari.

भावार्थ: यह संसार मोह माया मे डूब गया है। उसकी कन्या कुॅंवारी रह गई है। यदि कोई प्रयास नहीं किया जायेगा तो वह
अनेक पुनर्जन्म लेकर संसार में भटकती रहेगी। हमें परमात्मा से परिचय कर इस अनर्थक भटकाव से रक्षा करनी चाहिये।

Meaning: The world is immersed in delusion,the girl remained unmarried. If no effort is done, she takes many rebirth and roams in the world.

जहां लगि सब संसार है, मिरग सबन की मोह
सुर, नर, नाग, पताल अरु, ऋषि मुनिवर सबजोह।

Jahan lagi sab sansar hai, mirag saban ki moh
Sur,nar,nag, patal aru,rishi,muniwar sabjoh.

भावार्थ: जहाॅं तक संसार है यह मृगतृष्णा रुपी मोह सबको ग्रसित कर लिया है। देवता,मनुष्य पाताल नाग और ऋषि-मुनि सब इसके प्रभाव में फॅंस गये हैं।

Meaning: Wherever you see the world, the deer of delusion has pervaded all. The God,men, the snake of the lower world, the hermit and the saint all are under its influence.

कुरुक्षेत्र सब मेदिनी, खेती करै किसान
मोह मिरग सब छोरि गया, आस ना रहि खलिहान।

Kurukshetra sab medini,kheti karai kisan
Moh mirag sab chori gaya, aas na rahi khalihan.

भावार्थ: यह भुमि कुरुक्षेत्र की भाॅंति पवित्र है। किसान खेती करते हैं परंतु मोह-माया रुपी मृग सब चर गया। खलिहान में भंडारण हेतु अन्न कुछ भी शेष नहीं रहता।

Meaning: This land is pious like Kurukshetra,the farmer does the farming. The deer of delusion have grazed them all, there is no hope of anything in the granary.

मोह फंद सब फांदिया, कोय ना सकै निवार
कोई साधु जन पारखी, बिरला तत्व विचार।

Moh fand sab fandiya,koye na sake niwar
Koi sadhu jan parkhi,birla tatwa vichar.

भावार्थ: मोह-माया के फॅंास में सब फॅंस जाते हैं। कोई भी इस से बच नही पाता है। शायद कोई संत इस मूलतत्व पर विचार कर अपनी रक्षा कर पाता है।

Meaning: All have been encircled by delusion, none is saved. Rare saint is the assayer who has thought and overcome it.

ऐक मोह के कारने, भरत धरी दौ देह
ते नर कैसे छुटि हैं, जिनके बहुत सनेह।

Ek moh ke karne,Bharat dhari dou deh
Te nar kaise chhuti hain, jinke bahut saneh.

भावार्थ: इसी माया-मोह के कारण भरत को पुनः जनम लेकर दो बार शरीर धारण करना पड़ा। कोई मनुष्य जो संसार से अधिक स्नेह करता है वह कैसे इस संसार के बंधन से बच सकता है।

Meaning: Bharat had to take birth twice because of this one delusion. How can a man escape it, who has great affections with the world.

अपना तो कोई नहीं, हम काहु के नाहि
पार पंहुचि नाव जब, मिलि सब बिछुरै जाहि।

Apna to koi nahi,hum kahu ke nahi
Par pahuchi naw jab,mili sab bichhure janhi.

भावार्थ: इस संसार मेरा अपना कोई नहीं है। हम भी किसी के अपने नहीं हंै। जब नाव उस पार पहूॅचेगी तब उस पर मिलने वाले सभी विछुड़ जायेगें।यह नाव रुपी संसार है।

Meaning: No one is mine,I am for nobody. Once the boat reaches that side, all of them will be separated.

अपना तो कोई नहीं, देखा ठाोकि बजाय
अपना अपना क्या करे, मोह भरम लिपटाय।

Aapna to koi nahi,dekha thoki bajai
Aapna aapna kya kare,moh bharam liptay.

भावार्थ: इस संसार में अपना कोई नहीं हैं। इसे काफी जाॅंच परख कर देख लिया है। अपना-अपना करना व्यर्थ है। सभी लोग मोह माया और भ्रम के जाल में फंसे है।

Meaning: None is mine, this I have seen after many tests. What is there to say mine, we cling to doubt and delusion.

मोह सलिल की धार मे, बहि गये गहिर गंभीर
सुक्षम माछली सुरति है, चढ़ती उलटि नीर।

Moh salil ki dhar me, bahi gaye gahir gambhir
Suchham machhli surati hai,chadhti ulti neer.

भावार्थ: मोह माया के बहाव में बड़े-बड़े लोग बह जाते है। मोह नदी की धारा की भॅंाति है। एक छोटी मछली ज्ञानी की भॅंति धारा की उलटी दिशामें तैर कर नदी पार कर जाती है।

Meaning: The delusion is the flow of river in which even the great men float. But the small fish is knowledgible,it swims in the reverse.

अस्ट सिद्धि नव निधि लौ सब ही मोह की खान
त्याग मोह की वासना, कहे कबीर सुजान।

Asta sidhi nav nidhi law,sab hi moh ki khan
Tyag moh ki wasna, kahe Kabir sujan.

भावार्थ: आठों प्रकार की सिद्धियाॅं और नौ प्रकार की निधियाॅ सब माया मोह की खान हैं। ज्ञानी कबीर कहते है कि हमें मोह माया की इच्छाओं का त्याग करना चाहिये।

Meaning: The eight accomplishment and nine treasures all are mines of delusion. Reject the longings of delusions,says Kabir,the knower.

सुर, नर ऋषि मुनि सब फसे, मृग तृशना जग मोह
मोह रुप संसार है, गिरे मोह निधि जोह।

Sur,nar rishi muni sab fase, mrig trishna jag moh
Moh rup sansar hai,gire moh nidhi joh.

भावार्थ: देवता,मनुष्य,ऋषि,मुणि सभी मृग तृष्णा रुपी संसार के मोह में फॅंसे हैं। यह संसार माया जाल स्वरुप है। सभी माया-मोह के समुद्र में गिरे पड़े है।

Meaning: God,men,the hermits and saints all have been trapped in the mirage and delusion of this world.
The world is like the delusion,all are seen fallen in this sea.

प्रथम फंदे सब देवता, बिलसै स्वर्ग निवास
मोह मगन सुख पायीया, मृत्यु लोक की आस।

Pratham fande sab debta, bilsai swarg niwas
moh magan sukh paiya, mritu lok ki aas.

भावार्थ: मोह में देवता लोग स्वर्ग में रहकर सुख और आनंद का उपभोग करने लगे। लेकिन मोह में अधिक फंस कर अधिकाधिक सुख के लिये मृत्यु लोक की कामना करने लगे। यही मोह पतन का कारण है।

Meaning: First the Gods gets caught by delusion, luxuriously living in the heaven. Drowned in delusion, they feel happy in the hope of conquering this mortal world.

विषय से सम्बंधित लेख :

कबीर के दोहे-भाग 1-अनुभव: Kabir Ke Dohe-Experience
कबीर के दोहे-भाग 2-काल: Kabir Ke Dohe-Death
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कबीर के दोहे-भाग 4-नारी: Kabir Ke Dohe-Women
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