श्री चिंतपूर्णी माता जी की आरती
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
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चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥
देवी धूमक वाहन राजत,वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत,झननन झननन रमती राजन्ती॥
एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥
ज्योति सभी बुझाने अकबर आया था |
क्षमा मांगकर तुमसे छत्र चढ़ाया था ||