यह कथा सन् १९५२ की है । अघोरेश्वर भगवान राम जी ने हरिहरपुर में सर्वप्रथम ‘विष्णु-यज्ञ’ आयोजित किया । इस यज्ञ में,’ झूंसी के नाथ बाबा’ के लिए सबसे ऊंचा आसन स्थापित किया गया । यह यज्ञ शुरू होने के २-३ दिन पहले , बनारस जिला के सब-डिवीजन मजिस्ट्रेट पूज्य अघोरेश्वर से मिलने के लिए पहुंचे ।
एस.डी.एम. साहब बड़े रूतबे में आये,और बिना जूता उतारे ,नाथ-बाबा के आसन पर बैठ गये। कई सेवकगण समझाने गये, लेकिन एस.डी.एम, साहब उनकी बात सुनकर बिगड़ गये, और बोले ,”अरे हटो! हम बाबा-माई बहुत देखे हैं।” इसकी सूचना महाप्रभु को दी गई , पूज्य अघोरेश्वर ने आदेश दिया कि आपलोग पुनः एस.डी.एम.साहब से विनती करें। पर विनती का कोई असर नहीं हुआ। इस ढ़िठाई का पता महाप्रभु को चला। आपने कहा,”अच्छा ! तो ऐसी बात है ?” बाबा ने उठकर झंडी-पताका में से १-बांस उखाड़ लिया। इतना होते ही एस.डी.एम. साहब आसन के उपर धड़ाम से जमीन पर आ गिरे !
एस.डी.एम.साहब तमतमाते हूं पास के पुलिस चौकी पर गये। चौकी – इंचार्ज से बाबा को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। “थाना-इंचार्ज ने कहा त्यागपत्र दे सकता हुं परंतु यह काम नहीं कर सकता हूं ।” इस जबाब को सुनकर एस.डी.एम. साहब चहनिया से चंदौली पुलिस चौकी पहुंचे।पर यहां भी वही ज़बाब मिला। तब एस.डी.एम.साहब पी.ए.सी.की २ -गाड़ियों में जवान भरकर वापस लौटे । जैसे ही जीप यज्ञ-भूमि की सड़क पर चढ़ी-बिना किसी आंधी-तुफान के,उलट गई!जीप उपर और एस.डी.एम.साहब उसके नीचे।
तब उनका माथा ठनका,और उनको महाप्रभु की महिमा समझ में आने लगी । किसी तरह बाहर आये और ग्लानि का भाव लिए लोगों से बाबा से मिलने का आग्रह किया।
जैसे ही यह बात महाप्रभु तक पहुंची, “बाबा उनको तुरंत, एक-मिनट भी विलंब किये बिना, उनके पास पहुंचे ।’ पूज्य अघोरेश्वर ने उनसे कहा,” दर्शन तो आप बाद में कीजियेगा । अभी आप जितना तेजी से जीप दौड़ा सकते हैं, उतनी तेजी से दौड़ाकर कबीरचौरा अस्पताल जाइये। वहां आपका बड़ा लड़का भर्ती पड़ा हैं । अगर आप एक-डेढ़ घंटे के अंदर उसको हम तक नहीं ले आते हैं,तो बात हमारे हाथ से निकल जायेगी।
एस.डी.एम.साहब ने सोचा महाप्रभु धमका रहे हैं। उन्होंने सिवील-सर्जन को फोन किया । सिविल सर्जन ने बतलाया,”आप जल्दी आ जाईये,आपका बड़ा लड़का हमारे हाथ से निकला ही जा रहा है।” तब एस.डी.एम. साहब ने कहा “आप उसको एंबुलेंस में लिटाकर , जितनी जल्दी हो सके , बाबा के पास यहां ले आइये।” उस लड़के को कालरा हो गया था और सौभाग्यवश लड़का समय के भीतर महाप्रभु के पास पहुंच गया। महाप्रभु ने उस लड़के को प़साद दिया ,और उसकी जान बच गई। इसके बाद एस.डी.एम.साहब महाप्रभु के अनुयायी बन गये।
यद्यपि एस.डी.एम.साहब ने बाबा का अनादर किया, फिर भी करूणासिंधु-बाबा ने उनके लड़के को अकाल-मृत्यु से बचा लिया।
किसी भक्त कवि ने ठीक ही लिखा है कि,”संत न छोड़े संतई,कोटिक मिलैं असंत ।”
पू अघोरेश्वर
श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम् पड़ाव वाराणसी।
लेख सौजन्य से : अवधूत भगवान राम विश्व अघोर संगठन
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com