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राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ…29 राज्य एक चौपाई में

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राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ…अर्थ सहित

भारत के 29 राज्य एक चौपाई में

 आज कल एक दोहा बहुत तेज़ी से Social Media पर प्रचलित हो रहा है| भारत के सभी 29 राज्यों का नाम याद करने के लिए बहुत से लोग इस दोहे को प्रयोग करते हैं|

राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ।
पंक में उगोहमि अहि के छवि झाउ।।

———————-!———————
रा – राजस्थान ! पं- पंजाब
म – महाराष्ट्र ! क- कर्नाटक
ना – नागालैंड ! मे- मेघालय
म – मणिपुर ! उ- उत्तराखंड
ज – जम्मू कश्मीर ! गो- गोवा
प – पश्चिम बंगाल ! ह- हरियाणा
ते – तेलंगाना ! मि- मिजोरम
अ – असम अ- अरुणाचल प्रदेश
त्रि – त्रिपुरा हि- हिमाचल प्रदेश
म – मध्य प्रदेश ! के- केरल
त – तमिलनाडु ! छ- छत्तीसगढ़
गु – गुजरात ! बि- बिहार
सि – सिक्किम ! झा- झारखंड
आ- आंध्र प्रदेश ! उ- उड़ीसा
उ – उत्तर प्रदेश !

राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ का मतलब क्या है?

दोहे का अर्थ:


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हे अत्रि (ऋषि) राम नाम जपते हुए क्रोध (प्रभु दर्शन में विलम्ब के कारण) मत करिए| (प्रभु के नाम जप के समय क्रोध करना किसी तरह से भी उचित नही है|)

यह वैसे ही है जैसे कीचड़ में साँप की छवि समझ कर उसे ज़ोर से उलीचना कर साँप निकालने का प्रयास करना | अर्थात अगर ऐसा करेंगे तो दोनो ही तरह से नुकसान है , अगर साँप हुआ तो काट लेगा और अगर नही हुआ तो आप स्वयं को कीचड़ से अपवित्र करेंगे|

शब्दार्थ: पंक= कीचड़, उगोहमि = पानी उलीचाने की क्रिया, अहि= साँप, झाउ= ज़ोर ज़ोर से, वैसे झाउ नाम का एक पेड़ भी होता है, पर मेरे हिसाब से यह यहाँ सटीक नही बैठता|अत्रि= ऋषि का भी नाम है, शायद यह पंक्तियाँ अत्रि ऋषि को संबोधित कर लिखी गयी हैं|

इस प्रकार की कोई चौपाई या दोहा श्री रामचरितमानस में या वाल्मीकि रामायण में नहीं हैं। इसीलिए हमने अपने लेख में ऐसा नहीं बताया है। किसी ने संभवतः इसे प्रतियोगी परीक्षाओं के उत्तर देने हेतु भारत का सभी राज्यों का नाम याद करने के लिए बनाया है।

अत्रि मुनि का प्रभु श्री राम से मिलन और उनके द्वारा स्तुति का वर्णन यहाँ पढ़ें

भारत के 29 राज्य 1 मिनेट में ट्रिक से याद करें | GK TRICKS in Hindi | Hindi GK Tricks

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छोरा गंगा किनारे वाला

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12 Comments on “राम नाम जपते अत्रि मत गुसिआउ…29 राज्य एक चौपाई में”

  1. सर, मेरे अनुसार यह दोहा तुलसीदासजी द्वारा रचित नही है| कई बार रामायण पढ़ने के बाद भी इस दोहे का उद्धरण नही पाया मैने| क्षमा प्रार्थी हूँ, यदि मैं ग़लत कह रहा हूँ| लेकिन मुझे यह दोहा रामचरितमानस में नही दिखा| यह दोहा किसी ने प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी हेतु बनाया है| उन सज्जन का अभिनंदन है जिन्होने इस सामयिक दोहे की रचना करके परीक्षार्थियों की मदद की है|

  2. सर, हालाँकि मूल रचनाकार ही इसका एकदम सही मतलब बता सकते हैं| मेरे अनुसार इसका ये मतलब हो सकता है|

    दोहे का अर्थ:

    राम नाम जपते हुए बहुत क्रोध मत करिए| (प्रभु के नाम जप के समय क्रोध करना किसी तरह से भी उचित नही है|)
    यह वैसे ही है जैसे कीचड़ में साँप की छवि समझ कर उसे ज़ोर से उलीचना कर साँप निकालने का प्रयास करना | अर्थात अगर ऐसा करेंगे तो दोनो ही तरह से नुकसान है , अगर साँप हुआ तो काट लेगा और अगर नही हुआ तो आप स्वयं को कीचड़ से अपवित्र करेंगे|

    शब्दार्थ: पंक= कीचड़, उगोहमि = पानी उलीचाने की क्रिया, अहि= साँप, झाउ= ज़ोर ज़ोर से, वैसे झाउ नाम का एक पेड़ भी होता है, पर मेरे हिसाब से यह यहाँ सटीक नही बैठता|अत्रि= यहा मेने अर्थ अति लिया है, हालाँकि अत्रि ऋषि का भी नाम है, या शायद यह पंक्तियाँ अत्रि ऋषि को संबोधित कर लिखी गयी हैं|

    कृपया अपने विचार इस पर अवश्य व्यक्त करें|

  3. अर्थ आपने तो बताया पर .. रचनाकार द्वारा भी तो आना चाहिए।और सही जानकारी की भी आवश्यकता है।

  4. आपने सही कहा, लेकिन रचनाकार के विषय में मैं अनभिज्ञ हूँ. क्षमा करें| मैं अनुरोध करता हूँ कि यदि कोई और पाठक इसके विषय में में जानते हों तो बतायें|

  5. Is Tarah Ki koi chaupai ya Doha ramcharit Manas me Nahi h , aur na hi balmiki Ramayana me hi hai.

  6. Ji Bilkul! Is Tarah Ki koi chaupai ya Doha Shri Ramcharit Manas me ya Valmiki Ramayana me nahi hain. Isiliye hamane apane lekh mein aisa nahi bataya hai| Aur neeche comments mein ye mentio bhi kiya hai ki kisi ne ise Pratiyogi parikshaon ke liye banay hai|

  7. Ji sir yah doha ramcharitManas ka nhi hai
    Ye doha muni Atri ji ne diya hai Ram nam ki stuti ke liye. Ye unke apne shabd hai

  8. Dhanyawad Sir, Yah to saty hai ki ye doha Shri Ramcharitmanas ka nahi hai. Lekin likha huaa lokabhasah(Shayad Awadhi) ka hai..Atri muni ka ullekh to purano mein milata hai..

    Agar is dohe ke peeche ki katha pata ho to batane ki kripa karein.

    Jay Shri Ram
    Pranam

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