श्री लक्ष्मण जी की आरती
आरती लक्ष्मण बालजती की,असुर संहारन प्राणपति की। टेक।
जगमग ज्योत अवधपुरी राजे,शेषाचल पे आप बिराजै॥
घंटा ताल पखावज बाजै,कोटि देव मुनि आरती साजै।
क्रीट मुकुट कर धनुष विराजै,तीन लोक जाकी शोभा राजै॥
Bringing you closer to Hindu Indian roots
आरती लक्ष्मण बालजती की,असुर संहारन प्राणपति की। टेक।
जगमग ज्योत अवधपुरी राजे,शेषाचल पे आप बिराजै॥
घंटा ताल पखावज बाजै,कोटि देव मुनि आरती साजै।
क्रीट मुकुट कर धनुष विराजै,तीन लोक जाकी शोभा राजै॥