छह मूर्ख-पुरानी ग्रामीण आँचलिक कहानी
दादाजी भी उस लड़के से कुछ कम नहीं थे। बोले, “अरे वाह, यह फूलकी तो बहुत ही बढ़िया दिखती है। फट-फट बजती है, और पट-पट बोलती है।” लड़के की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। जब ब्यालू का समय हुआ, तो लड़के ने पूछा, “मां, इस फूलकी को मैं कहां रख दूं? ”
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