श्री छिन्नमस्ता चालीसा
तबसे कहें सकल बुध ज्ञानी। जयतु छिन्नमस्ता वरदानी।।
तुम जगदंब अनादि अनन्ता। गावत सतत वेद मुनि सन्ता।।
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तबसे कहें सकल बुध ज्ञानी। जयतु छिन्नमस्ता वरदानी।।
तुम जगदंब अनादि अनन्ता। गावत सतत वेद मुनि सन्ता।।