श्री चामुंडा माता जी की आरती
क्रोध रूप में खप्पर खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे आनंद भर देता।।
हनुमत बाला योगी ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती दुर्गा महाकाली।।
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क्रोध रूप में खप्पर खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे आनंद भर देता।।
हनुमत बाला योगी ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती दुर्गा महाकाली।।