श्री सन्तोषी माता जी की आरती-2
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर मे ।
दीप धरो धूप करो, प्रेम सहित भक्ति करो।
जीवन सुधारो रे ॥
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वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर मे ।
दीप धरो धूप करो, प्रेम सहित भक्ति करो।
जीवन सुधारो रे ॥
गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥
जो ध्यावे फल पावे,सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से,श्री श्याम-श्याम उचरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी,
जग को तारो भोली माँ
तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥