भगवान श्री गणेश जी की आरती-5
आरती जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची,
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची,
कंठी झलके माल मुक्ता फलांची॥
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति,
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा,
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा,
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति,
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना,
सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना,
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना॥
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति,
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती॥
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव॥
।।इति श्री गणेश आरती समाप्त।।
1.चालीसा संग्रह -९०+ चालीसायें
2.आरती संग्रह -१००+ आरतियाँ
Dibhu.com is committed for quality content on Hinduism and Divya Bhumi Bharat. If you like our efforts please continue visiting and supporting us more often.😀
Tip us if you find our content helpful,
Companies, individuals, and direct publishers can place their ads here at reasonable rates for months, quarters, or years.contact-bizpalventures@gmail.com