एक बार होस्टल कैंटीन वाले के रोज़ रोज़ नाश्ते में आलू पूरी दे देने से परेशांन 80 लोगो ने हॉस्टल वार्डन से शिकायत की और नाश्ता बदलने को कहा ….
100 में से सिर्फ 20 लोग ऐसे थे जिनको आलू पूरी ही बहुत पसंद थी और वो लोग चाहते थे कि आलू पूरी ही रोज़ नास्ते में बननी चाहिए ..
बाकी के 80 लोग जिन्हें आलू पूरी बिल्कुल भी पसन्द नहीं थी वे नास्ते में परिवर्तन चाहते थे…
वार्डन ने उन सबको वोट करके अपना नास्ता खुद तय करने को कहा….
उन 20 लोगो ने जिनको आलू पूरी बहुत पसंद थी उन्होंने आलू पूरी के लिए वोट किया बाकी बचे 80 लोगो ने आपस में कोई सामंजस्य नहीं रखा और आपस में कोई वार्तालाप भी नहीं किया और अपनी बुद्धि एवम् विवेक से अपनी रूचि अनुसार सबने अपना अपना वोट दिया।
12 ने डोसा चुना, 16 ने परांठा, 14 ने रोटी, 12 ने ब्रेड बटर, 10 ने नूडल्स, 6 ने ब्रेड पकोड़ा और 10 ने दलिया को वोट दिया….
अब सोचो क्या हुआ होगा ?
उस कैंटीन में आज भी वो 80 लोग रोज़ नास्ते में आलू पूरी ही खाते है जिन्हें आलू पूरी बिल्कुल भी पसन्द नहीं थी ….
इसलिए अपना वोट सोच समझ के आपस में वार्ता करके राष्ट्र हित में दे ।
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